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चुनावों से पहले बजट पर रोक लगाने की मांग को लेकर EC की शरण में विपक्ष

Election-Commissionनई दिल्ली। एक फरवरी को पेश होने जा रहे आम बजट पर रोक लगाने की मांग को लेकर गुरुवार को विपक्षी दल चुनाव आयोग के ऑफिस पहुंचे हैं। विपक्ष की मांग है कि पांच राज्यों में चुनाव से पहले बजट को रोका जाए। विपक्षी दलों के विरोध के बीच केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने इस कदम का बचाव किया है। जेटली ने इस बाबत विपक्षियों पर निशाना साधते हुए पूछा कि एक तरफ तो वे नोटबंदी को अलोकप्रिय फैसला बताते हैं, तो फिर वे इससे भयभीत क्यों हैं?

विपक्षी दलों ने चुनाव पूर्व बजट पेश करने की केंद्र सरकार की योजना का विरोध किया है। उनका आरोप है कि इसके माध्यम से लोक लुभावनी घोषणाएं करके भाजपा मतदाताओं को लुभा सकती है। बसपा, जदयू, राजद, सपा समेत विपक्षी दलों के नेता चुनाव आयोग के दफ्तर पहुंचे और अपनी आपत्ति दर्ज कराई।

मुख्य निर्वाचन आयुक्त नसीम जैदी ने कहा है कि कुछ पार्टियों ने मांग की है कि आने वाले इलेक्शन से पहले केंद्र सरकार को बजट पेश करने की इजाजत नहीं दी जाए। हम इसका रिव्यू करेंगे।

उल्लेखनीय है कि भाजपा की सहयोगी शिवसेना ने भी इस मसले पर विपक्ष के सुर में सुर मिलाया है। शिवसेना प्रमुख उद्धव ने बुधवार को मुंबई जिला पार्टी सदस्यों की बैठक में कहा, इस संबंध में शिवसेना के सांसदों का एक प्रतिनिधिमंडल जल्द ही राष्ट्रपति से मुलाकात करेगा। हमें लग रहा है कि केंद्र में सत्तासीन भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) केंद्रीय बजट में देश की जनता को फुसलाने और गुमराह करने की कोशिश कर सकती है।

दूसरी ओर केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि बजट पेश करना संवैधानिक जरूरत है। जेटली ने कहा, “बजट लाना संवैधानिक जरूरत है।” उल्लेखनीय है कि बुधवार को निर्वाचन आयोग ने गोवा, मणिपुर, पंजाब, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव के तारीखों की घोषणा कर दी। पांचों राज्यों में विधानसभा चुनाव चार फरवरी से आठ मार्च तक चलेंगे और मतगणना 11 मार्च को होगी, वहीं केंद्रीय बजट के एक फरवरी को लाए जाने की संभावना है।

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Raj Bisht
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