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100 कृषि विज्ञान केंद्रों के जरिये किया जा रहा कौशल विकास : राधा मोहन

Radha Mohan Singh Photo

नई दिल्ली| केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री राधा मोहन सिंह ने कहा है कि कृषि मंत्रालय ने कौशल विकास के कार्य को अमली जामा पहनाने के लिए वर्ष 2016-17 के लिए 3.52 करोड़ रुपये के बजट का प्रावधान किया, जिससे 100 कृषि विज्ञान केन्द्रों तथा मंत्रालय के अन्य विशिष्ट प्रशिक्षण संस्थानों के माध्यम से कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि कृषि में हुए नवीनतम विकास की वजह से एग्री वेयरहाउसिंग, कोल्ड चेन, सप्लाई चेन, डेरी, पोल्ट्री, मीट, मछली, बागवानी, खेत मशीनीकरण, सूक्ष्म सिंचाई में हुनरमंद नौजवानों के लिए रोजगार के मौके पैदा हुए हैं जिसका नौजवानों को लाभ उठाना चाहिए।

केंद्रीय कृषि मंत्री ने यह बात गुरुवार को नई दिल्ली में ‘कौशल विकास से कृषि विकास’ पर आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला में कही। इस कार्यशाला में कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय, कृषि मंत्रालय, आईसीएआर के कृषि विज्ञान केन्द्रों के प्रतिनिधि और प्रशिक्षित उद्यमी नौजवान हिस्सा ले रहे हैं।

राधा मोहन सिंह ने कहा कि इन क्षेत्रों में स्व-रोजगार के भी अवसर बढ़े हैं जिसमें कुशल नौजवानों की मांग है। सिंह ने कहा कि कृषि का ऐसा समग्र विकास अब से पहले कभी देखने को नहीं मिला।

केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री ने ‘उत्पादन केंद्रित कृषि’ से हटकर ‘किसान केंद्रित कृषि’ का आह्वान किया है। सरकार का मानना है कि कृषि को एक निजी उद्यम के रूप में विकसित करने और नौजवानों को इससे जोड़ने की जरूरत है।

सिंह ने कहा कि इसके लिए कृषि मंत्रालय में चार स्तरों पर काम हो रहा है। उत्पादकता में वृद्धि, पोस्ट हार्वेस्ट मैनेजमेंट एवं किसानों को उत्पादन का उचित दाम दिलाने, कृषि में जोखिम कम करने एवं चौथे स्तर पर किसानों की आय के अन्य साधन जैसे कि हॉर्टीकल्चर, पशुपालन, मत्स्यकी, मधुमक्खी पालन विकसित करने पर जोर दिया जा रहा है।

राधा मोहन सिंह ने कहा कि किसानों की आय बढ़ाने के लिए विभिन्न योजनाएं शुरू की गयी है जिनमें जैविक खेती के तहत और अधिक क्षेत्र को लाने के लिए ‘परम्परागत कृषि विकास योजना’ तथा किसानों को लाभकारी मूल्य मुहैया कराने के लिए राष्ट्रीय कृषि मंडी (ई-नाम) भी शामिल हैं। सरकार ‘श्वेत क्रांति’ के माध्यम से दूध उत्पादन तथा ‘नीली क्रांति’ के माध्यम से मछली उत्पादन में वृद्धि पर भी जोर दे रही है।

सिंह ने कहा कि गोजातीय नस्लों के विकास और संरक्षण के लिए पहली बार ‘राष्ट्रीय गोकुल मिशन’ शुरू किया गया है ताकि स्वदेशी गोजातीय नस्लों का संरक्षण और विकास किया जा सके। ‘मेरा गांव-मेरा गौरव’ में गांवों के लिए वैज्ञानिक खेती प्रभावी बनाने के लिए कृषि विश्वविद्यालयों तथा आईसीएआर के संस्थानों के कृषि विशेषज्ञों को शामिल किए जाने की बात कही गई है।

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Dileep Kumar
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