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लोकतंत्र के लिए जरूरी है असहमति : अशोक वाजपेयी

Ashok_Vajpeyi

नई दिल्ली| नरेंद्र मोदी सरकार की कटु आलोचना करने वाले मशहूर कवि व साहित्यिक आलोचक अशोक वाजपेयी ने दिल्ली साहित्य समारोह में एक बार फिर अपनी चिंता जाहिर की है। दिल्ली हाट में आयोजित हो रहे साहित्य समारोह के उद्घाटन सत्र में वाजपेयी ने शुक्रवार को दर्शकों को चेताते हुए कहा कि असहमति के अधिकार को खतरा है। उन्होंने कहा, “वर्तमान समय में जो किसी से असहमति जताता है, उसे गद्दार के रूप में देखा जाता है और उसे राष्ट्र विरोधी करार दिया जाता है।”

लेखकों तथा कार्यकर्ताओं के खिलाफ हो रही विभिन्न घटनाओं पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुप्पी के खिलाफ वाजपेयी पहले व्यक्ति थे, जिन्होंने साहित्य अकादमी पुरस्कार को सरकार को वापस कर दिया था।

हैदराबाद यूनिवर्सिटी के अधिकारियों द्वारा दलित विरोधी रवैया अपनाने, जिसके कारण कथित तौर पर वेमूला द्वारा आत्महत्या करने को मजबूर होने की घटना के विरोध में वाजपेयी ने बीते साल 19 नवंबर को डॉक्ट्रेट की मानद उपाधि विश्वविद्यालय को वापस कर दी थी। यह उपाधि उन्हें हैदराबाद विश्वविद्यालय ने ही दी थी।

उन्होंने कहा, “अगर लोकतंत्र में असहमति का आदर नहीं होता है, तो फिर कहां होगा?”

साहित्यकार वाजपेयी ने कहा कि इस वक्त साहित्य चुनौती भरे समय के चौराहे पर खड़ा रहा।

ललित कला अकादमी के पूर्व अध्यक्ष ने यह भी कहा कि साहित्य लोगों को एक दूसरे के नजदीक लाता है।

इस मौके पर मशहूर गायक व भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सांसद बाबुल सुप्रियो, आम आदमी पार्टी (आप) के नेता सोमनाथ भारती, नैसकॉम फाउंडेशन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्रीकांत सिन्हा भी मौजूद थे।

बाबुल सुप्रियो ने युवा दर्शकों से डिजिटल दुनिया तथा कलम व कागज की दुनिया के बीच संतुलन बरकरार रखने का आग्रह किया।

यह समारोह 11 फरवरी को शुरू हुआ है, जो 12 फरवरी को समाप्त होगा। इसमें बांग्लादेश की विवादित लेखिका तस्लीमा नसरीन तथा मशहूर इतिहासकार विलियम डालरेंपल भी नजर आएंगे।

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Dileep Kumar
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