चेन्नई| तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ई.के.पलनीस्वामी ने शनिवार को राज्य विधानसभा में विश्वास मत हासिल कर लिया। पलनीस्वामी ने गुरुवार को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। उन्हें ध्वनिमत के रूप में 122 मत मिले। प्रदेश के नए मुख्यमंत्री पलनीस्वामी ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एआईएडीएमके) की महासचिव वी.के.शशिकला गुट के हैं।
विधानसभा में हंगामा, डीएमके विधायकों को निकाला
इससे पूर्व विधानसभा में मुख्यमंत्री ई.के.पलनीस्वामी द्वारा विश्वास प्रस्ताव पेश करने के बाद विपक्षी द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) के सदस्यों ने सदन के अध्यक्ष पी.धनपाल से गुप्त मतदान की मांग की, जिससे मना करने के बाद सदन में जमकर हंगामा हुआ।
हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही अपराह्न तीन बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई। सदन की कार्यवाही स्थगित करने से पहले अध्यक्ष ने हंगामा करने वाले डीएमके के सदस्यों को बाहर निकलवा दिया।
इससे पहले, गुप्त मतदान की मांग को लेकर विपक्षी सदस्यों द्वारा किए गए हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही अपराह्न एक बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई थी, जिसके बाद दोबारा कार्यवाही शुरू होने पर भी माहौल में कोई परिवर्तन नहीं आया और कार्यवाही अपराह्न तीन बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई।
सदन में कार्यवाही शुरू होने के तुरंत बाद पलनीस्वामी ने बहुमत साबित करने के लिए प्रस्ताव पेश किया, जिसके बाद विपक्ष के नेता एम.के.स्टालिन की उनके साथ तीखी नोकझोंक हुई।
स्टालिन ने विधानसभा अध्यक्ष पी.धनपाल से गुप्त मतदान कराने का आग्रह किया। अध्यक्ष ने कहा कि उनके काम में विधायक दखलंदाजी नहीं कर सकते।
स्टालिन ने इस बात पर भी सवाल उठाया कि जब राज्यपाल सी.विद्यासागर राव ने बहुमत साबित करने के लिए 15 दिनों का वक्त दिया है, फिर इतनी जल्दबाजी क्या है?
इस बीच मुख्यमंत्री पलनीस्वामी का समर्थन करने वाले विधायक चुप रहे, जबकि द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) के विधायकों ने धनपाल को चारों तरफ से घेर लिया और नारेबाजी करने लगे। उन्होंने सदन के एजेंडा पेपर को भी फाड़ दिया और कुर्सियों तथा माइक को इधर-उधर फेंक दिया।
जब मार्शलों ने धनपाल को बचाकर बाहर ले जाने की कोशिश की तो डीएमके सदस्यों ने उन्हें दोबारा कुर्सी पर बैठा दिया। इस दौरान डीएमके का एक सदस्य अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठ गया। पूर्व मुख्यमंत्री ओ.पन्नीरसेल्वम ने भी गुप्त मतदान की मांग की।