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छत्तीसगढ़ : दाई मां की सेवाएं लेगा स्वास्थ्य विभाग

h1457रायपुर | छत्तीसगढ़ के गांवों में बरसों से सुरक्षित प्रसव कराने वाली दाई मां अब सरकारी अस्पतालों में प्रसव करती देखी जा सकेगी। सूबे के कवर्धा जिले में संस्थागत प्रसव के समानांतर ही घर में होने वाले प्रसव के कारण स्वास्थ्य विभाग अब दाई मां की सेवाएं लेगा। हालांकि स्वास्थ्य विभाग ने दाई मां की इस सेवा के लिए किसी प्रकार का कोई मानदेय तय नहीं किया है। जिला कलेक्टर धनंजय देवांगन ने स्वास्थ्य विभाग की बैठक में अधिकारियों को संस्थगात प्रसव बढ़ाने के निर्देश दिए। कलेक्टर ने कहा कि वनांचल में आज भी बड़ी संख्या में लोग प्रसव को लेकर दाई मां पर अत्यधिक भरोसा करते हैं। इसलिए इनकी सेवाएं ली जाएं।

कलेक्टर ने जिले में होम डिलवरी रोकने और सुरक्षित संस्थागत प्रसव का प्रतिशत बढ़ाने पर विशेष जोर दिया है। संस्थागत प्रसव के लक्ष्यों को पूरा करने और होम डिलवरी को पूर्णता: रोकने के लिए जनवरी माह से विशेष कार्य योजनाए बनाई जा रही है।

कलेक्टर ने स्वास्थ्य विभाग की बैठक लेकर कहा कि संस्थागत प्रसव का प्रतिशत बढ़ाने के लिए स्वास्थ विभाग के ग्रामीण क्षेत्रों में पदस्थ ग्रामीण चिकित्सक व सहायकों को स्वास्थ्य सेक्टर का प्रभारी बनाया जाएगा और स्वास्थ्य सुपरवाइजर तथा एनएमए उनके सहयोगी के रूप में काम करेंगे और विभागीय कार्यक्रमों और योजनाओं को धरातल पर मूर्त रूप देंगे। कलेक्टर ने जिला मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को इस संबंध में कार्यालयीन आदेश जारी करने के निर्देश दिए है।

ग्रामीण क्षेत्रों में चल रहे अप्रशिक्षित डॉक्टरों पर कड़ी कार्रवाई कर अवैध रूप से चल रहे क्लीनिकों को सील करने के निर्देश कलेक्टर ने सीएमएओ को दिए। उन्होंने कहा कि ऐसे कार्य में सहयोग करने वालों पर भी कार्रवाई की जाए।

उल्लेखनीय है कि संस्थागत प्रसव के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य से शासन द्वारा हितग्राही को प्रोत्साहन राशि भी दी जाती है। ग्रामीण क्षेत्र में शिशुवती महिलाओं को 1400 रुपए, शहरी क्षेत्र में 1000 रुपये तथा मितानिन को 600 रुपये दिए जाते हैं, जिसमें से 300 रुपये प्रवास और 300 रुपये परिवहन के शामिल हैं। इसी तरह आंगनबाड़ी कार्यकर्ता को 400 रुपये, जिसमें 200 रुपये प्रवास और 200 रुपये परिवहन खर्च दिया जाता है।

कलेक्टर ने जिले के चारों विकासखंड के एक-एक गांव के संस्थागत प्रसव कम होने और होम डिलवरी की समीक्षा की। कड़ी नाराजगी जाहिर करते हुए कलेक्टर ने कहा कि स्वास्थ्य अमला और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के बेहतर कार्य समन्वय नहीं होने के कारण ऐसी स्थिति निर्मित हो रही है। उन्होंने बीएमओ को आंगनबाडी कार्यकर्ताओं के अलावा महिला सरपंच और पंच से समन्वय बनाकर होम डिलवरी रोकने के कड़े निर्देश दिए।

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