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मेरे लिए अपना स्टाइल ही फैशन : सोनल चौहान

फैशन ट्रेंड्स, मॉडलिंग, आकर्षक व्यक्तित्व, मॉडल सोनल चौहान, जन्नत, सोनल चौहान

नई दिल्ली | आकर्षक व्यक्तित्व और दमदार अभिनय के दम पर लोगों के दिलों में जगह बनाने वाली अभिनेत्री व फैशन मॉडल सोनल चौहान का कहना है कि उनके लिए फैशन उनका अपना स्टाइल है और वह आंखें बंद कर फैशन ट्रेंड्स (चलन) का अनुसरण नहीं करतीं।

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दिल्ली की रहने वाली सोनल एक फैशन मॉडल रह चुकी हैं। उन्होंने 2005 में मिस वर्ल्ड टूरिज्म का खिताब जीता था और यह खिताब जीतने वाली वह पहली भारतीय हैं।

यहां एक कार्यक्रम में पहुंचीं सोनल से जब पूछा कि उनके लिए फैशन क्या है, तो उन्होंने कहा, “मैं आंखें बंद कर फैशन के चलन का अनुसरण नहीं करती। मेरे लिए मेरा अपना निजी स्टाइल ही फैशन है और मैंने हमेशा ही इसी चीज को अपने ऊपर लागू किया है।”

उन्होंने कहा, “फैशन के चलन के बदलने के साथ कई लोग उसी अनुसार खुद को भी बदलते रहते हैं, लेकिन मैं इस पर विश्वास नहीं करती। अगर मैं भी चलन के अनुसार बार-बार अपने स्टाइल में बदलाव करती रहूंगी तो मेरे लिए यह असहजता भरा होगा।”

मॉडलिंग की दुनिया से अभिनय में कदम रखने वाली सोनल ने 2008 में इमरान हाशमी की फिल्म ‘जन्नत’ से बॉलीवुड में कदम रखा था। इस फिल्म के जरिए सोनल को काफी पहचान मिली और उनका चेहरा बॉलीवुड के साथ ही लोगों के जेहन में भी दर्ज हो गया, लेकिन इसके बाद उनकी फिल्मों ‘बुड्ढा होगा तेरा बाप’ और ‘3जी’ ने कुछ खास कमाल नहीं किया। सोनल ने हालांकि ‘लीजेंड’ और ‘शेर’ जैसी फिल्मों से तेलुगू सिनेमा में अपनी मजबूत पैठ बना ली है।

हिंदी फिल्मों से दूर सही, लेकिन तेलुगू सिनेमा में सोनल पूरी तरह से सक्रिय हैं। सोनल से जब उनकी आगामी फिल्म के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, मैं फिलहाल ‘जैक एंड दिल’ की शूटिंग कर रही हूं, जो इस साल रिलीज होगी। इसके अलावा मैं कुछ तेलुगू और हिंदी फिल्मों की पटकथाएं भी सुन रही हूं।

सोनल हाल ही में राजधानी में कैंसर जागरूकता पर आयोजित एक कार्यक्रम में नजर आई थीं।

इस कार्यक्रम में शामिल होने के बारे में सोनल ने कहा, “मुझे लगता है कि इस मुद्दे पर जागरूकता फैलाने के लिए इस तरह के कार्यक्रमों का आयोजन एक अच्छी पहल है। इस मुद्दे पर मैं अपनी तरफ से जो कर सकती हूं, उसी के तहत मैं इस कार्यक्रम में शामिल हुई। इस कार्यक्रम के जरिए समाज में कैंसर जागरूकता का बहुत अच्छा संदेश दिया गया है।”

इस तरह के कार्यक्रम समाज में जागरूकता फैलाने के लिए कितने जरूरी हैं? इस सवाल पर सोनल ने कहा, “मैं मानती हूं कि इस तरह के कार्यक्रम जरूर होने चाहिए, क्योंकि यह जागरूकता फैलाने के साथ ही इस रोग से प्रभावित लोगों को जीवन के प्रति सकारात्मक रहने के लिए प्रोत्साहित भी करते हैं।”

उन्होंने कहा, “मेरा मानना है कि कैंसर से लड़ने के लिए सकारात्मक सोच का होना भी बहुत जरूरी है। सकारात्मक रहकर हर चीज को जीता जा सकता है। मैंने ऐसा पढ़ा भी है और मेरा खुद का भी अनुभव है कि अगर आप सकारात्मक रहते हैं तो आप केवल शरीरिक रूप से ही नहीं मानसिक रूप भी स्वस्थ्य रहते हैं।”

उन्होंने कहा, “मैं मानती हूं कि कैंसर से लड़ने के लिए भी कैंसर के प्रति सकारात्मक होना जरूरी है, इसीलिए मैं जीवन को लेकर प्रोत्साहित करने वाले इस तरह के कार्यक्रमों में शिरकत करती हूं।”

 

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