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सीरिया में गैस हमले में 70 मरे, दुनिया भर में निंदा 

दमिश्क| सीरिया में हुए रासायनिक हमले पर बुधवार को अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने कड़ी प्रतिक्रिया जताई, वहीं संयुक्त राष्ट्र ने हमले की जांच का आह्वान किया और इसे एक युद्ध अपराध करार दिया। हमले में 70 लोग मारे जा चुके हैं, जिनमें 20 बच्चे शामिल हैं। सीरिया पर संयुक्त राष्ट्र के जांच आयोग ने एक बयान में कहा कि रासायनिक हथियारों का इस्तेमाल तथा जानबूझकर चिकित्सकीय सुविधाओं को निशाना बनाना युद्ध अपराध की श्रेणी में आता है और यह मानव अधिकार कानूनों का गंभीर उल्लंघन है।

ब्राजील के विशेषज्ञ पाउलो पिनहिरो के नेतृत्व वाली स्वतंत्र जांच समिति ने कहा, “इस तरह के हमलों के जिम्मेदार लोगों की पहचान कर उन्हें इसके लिए जवाबदेह ठहराया जाना जरूरी है।”

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सीरिया के इदलिब प्रांत में मंगलवार को हुए रासायनिक हमले की निंदा करते हुए इसके लिए देश में बशर अल-असद की सरकार को जिम्मेदार ठहराया और रूस तथा ईरान से इस तरह की पुनरावृत्ति को रोकने का आह्वान किया। ट्रंप ने घटना को एक ‘जघन्य’ कृत्य करार देते हुए कहा कि इसे सभ्य दुनिया नजरअंदाज नहीं कर सकती।

मंगलवार को बाद में ब्रिटेन, फ्रांस तथा अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को एक प्रस्ताव स्वीकार करने का दबाव बनाया, जो हमले की निंदा करता है और सीरिया सरकार को अंतर्राष्ट्रीय जांचकर्ताओं को सभी फ्लाइट लॉग्स, फ्लाइट प्लान्स तथा हवाई अभियानों के इंचार्ज कमांडरों के नाम उपलब्ध कराने का आदेश देता है।

प्रस्ताव के मसौदे को बाद में संयुक्त राष्ट्र परिषद के सभी 15 सदस्यों के बीच वितरित किया गया। इस पर बाद में मतदान हो सकता है।

प्रत्यक्षदर्शियों, चिकित्सकों तथा बचावकर्मियों के मुताबिक पीड़ितों की मौत जहरीली वायु में सांस लेने के कारण दम घुटने तथा मुंह में फेन आने की वजह से हुई। हमले के लिए संभवत: नर्व एजेंट या अन्य प्रतिबंधित रसायनों का इस्तेमाल किया गया।

उन्होंने कहा कि युद्धक विमानों द्वारा मंगलवार सुबह बम गिराने के बाद जहरीले रसायन फैल गए। कुछ बचावकर्मी मृतकों के समीप जाने से बीमार पड़ गए और बेहोश हो गए।

इदलिब प्रांत में विपक्षियों द्वारा संचालित स्वास्थ्य विभाग ने कहा कि 69 लोगों की मौत हो चुकी है। विभाग ने मृतकों की सूची मुहैया कराई। मृतकों की अभी तक पहचान नहीं हुई है, वहीं कुछ मानवतावादी समूहों ने मृतकों की संख्या 100 बताई है।

उधर असद सरकार ने इससे इनकार किया कि हमले सेना की ओर से किए गए। साथ ही सरकार ने यह भी कहा कि उसके पास किसी भी तरह का रासायनिक हथियार नहीं है।

सीरिया के विदेश मंत्रालय ने मंगलवार को जारी एक बयान में उन खबरों पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की, जिनमें कहा गया है कि इदलिब प्रांत में विद्रोहियों के नियंत्रण वाले खान शयखुन कस्बे में रासायनिक हमला सीरियाई सेना की ओर से किया गया है। मंत्रालय ने इन आरोपों से सिरे से इनकार किया।

दमिश्क के निकट घोटा में अगस्त 2013 में लगभग 1,300 नागरिकों के सरीन नर्व गैस से मारे जाने की घटना के बाद यह सबसे घातक रासायनिक हमला है।

घोटा जनसंहार के मद्देनजर, संयुक्त राष्ट्र के एक दल ने सीरिया में सरीन नर्व गैस को पूरी तरह से खत्म करवा दिया था और यह काम साल 2014 के शुरुआत में पूरा हुआ था। हालांकि शक जताया जा रहा है कि कुछ गैस के बचे होने के बारे में संयुक्त राष्ट्र के निरीक्षकों को भनक नहीं लगने दी गई थी।

रूस के रक्षा मंत्राल ने सरकार समाचार एजेंसी आरआईए से इस घटना में अपना हाथ होने से इनकार करते हुए कहा कि उसने इलाके में बमबारी नहीं की।

वहीं, सीरिया सरकार ने बार-बार दोहराया कि उसकी सेना के पास कोई रासायनिक हथियार नहीं हैं और उसने किसी भी सीरियाई शहर में इसका इस्तेमाल नहीं किया है।

सीरिया में काम करने वाली ब्रिटेन की मानवाधिकार संस्था सीरियन ऑब्जर्वेटरी फॉर ह्यूमन राइट्स (एसओएचआर) ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि रासायनिक हमले में 72 लोगों की मौत हो गई, जिनमें 20 बच्चे हैं। संस्था ने हमले में इस्तेमाल रसायन की प्रकृति की पुष्टि करने में खुद को अक्षम बताया।

मंगलवार को हमला खान शयखुन इलाके में हुआ, जहां निकटवर्ती हामा लीव प्रांत के हजारों शरणार्थी शरण लिए हुए हैं।

इदलिब कथित तौर पर इस्लामिक स्टेट (आईएस) का अंतिम गढ़ माना जाता है। राजनीतिक वार्ता का मार्ग प्रशस्त करने के लिए रूस तथा तुर्की द्वारा शांति समझौता करने के बावजूद इदलिब में हवाई हमले निरंतर जारी रहे हैं।

खान शयखुन में हमला असद के बढ़ते विश्वास का संकेत देता है। उन्होंने हालिया कुछ महीनों में अधिकांश इलाके विद्रोहियों के कब्जे से आजाद करा लिए हैं।

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Dileep Kumar
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