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वेतन कटौती का मुद्दा उठाने वाले एम्स के 18 कर्मचारी बर्खास्त

नई दिल्ली| एम्स के 18 कर्मचारियों को एम्स प्रशासन के सामने कथित तौर पर ‘अचानक वेतन में कटौती’ का मुद्दा उठाने को लेकर बर्खास्त कर दिया गया है। बर्खास्त किए गए कर्मचारी संविदा पर नियुक्त चतुर्थ श्रेणी के 350 कर्मचारियों में शामिल थे। बर्खस्त कर्मचारियों ने आरोप लगाया है कि जब उन्होंने एम्स प्रशासन के सामने यह मुद्दा उठाया तो पुलिस ने उनके साथ बदसलूकी की।

कर्मचारियों की शिकायत है कि बिना कोई वजह बताए उनका वेतन 9,500 रुपये से अचानक घटाकर 8,500 रुपये कर दिया गया। दिल्ली अस्पताल संविदा कर्मचारी संघ के अनुसार, एक प्रबंधन कंपनी ‘सुदर्शन फैसिलिटीज प्राइवेट लिमिटेड’ ने दिसंबर, 2016 ने एम्स ट्रॉमा सेंटर के लिए इन कर्मचारियों को नौकरी पर रखा था।

कर्मचारी संघ की महासचिव मृगांका ने बताया, “इन कर्मचारियों को 9,500 रुपये के वेतन पर संविदा पर रखा गया था। लेकिन इस वर्ष जनवरी से कर्मचारियों को 8,500 रुपये वेतन ही दिया जा रहा है। एक मार्च को कंपनी प्रबंधन के सामने पहली बार यह मुद्दा उठाया गया, लेकिन प्रबंधन ने कोई जवाब नहीं दिया।”

मृगांका ने मीडिया को बताया, “इसके बाद हमने एम्स ट्रॉमा सेंटर के अतिरिक्त चिकित्सा अधीक्षक अमित गुप्ता के सामने अपनी बात रखी, लेकिन उन्होंने इसका समाधान निकालने के बजाय पुलिस बुला ली।” मृगांका ने बताया कि कर्मचारियों के साथ धक्का-मुक्की की और उन्हें काम पर लौटने के लिए कहा।

उन्होंने कहा, “अतिरिक्त चिकित्सा अधीक्षक जब मामला सुलझाने में असफल रहे तो हमने श्रम आयुक्त के सामने मुद्दा उठाया। उन्होंने कंपनी के प्रतिनिधि से बात की और हमें काम पर लौटने के लिए कहा। लेकिन अगले दिन जब हम काम पर लौटे तो हमें पता चला कि हमारे 18 कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया गया है और पहले से दिया जा रहा वेतन भी बहाल नहीं किया गया।”

मीडिया ने जब एम्स के अतिरिक्त चिकित्सा अधीक्षक गुप्ता और सुदर्शन फैसिलिटीज प्राइवेट लिमिटेड से संपर्क करने की कोशिश की तो किसी ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। कर्मचारी न्यूनतम और समय पर वेतन दिए जाने के अलावा बर्खास्त किए गए कर्मचारियों को तत्काल बहाल किए जाने की मांग कर रहे हैं।

कर्मचारी संघ ने एम्स के उप-निदेशक को लिखी चिट्ठी में यह आरोप भी लगाया है कि उन्हें ओटी तृतीय श्रेणी के कर्मचारियों (तकीनीशियन और कंप्यूटर ऑपरेटर) का काम करने के लिए भी मजबूर किया जाता है।

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Dileep Kumar
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