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नेपाल में होगी स्पेन जैसी सांड़ों की लड़ाई

Madrid_Bullfightकाठमांडू | नेपाल के नूवाकोट जिले के तारुका गांव में शुक्रवार को स्पेन की तरह सांड़ों की लड़ाई होने वाली है। इस आयोजन को देखने देश-विदेश से हजारों सैलानी आनेवाले हैं। तारुका काठमांडू से 80 किलोमीटर दूर है। यहां मकर संक्रांति के अवसर पर सांड़ों की लड़ाई का प्रचलन है। यह लड़ाई तकरीबन घंटे भर चलती है। इस लड़ाई में अपने सांड़ को लेकर भाग लेने वाले अमर बहादुर भंडारी बताते हैं, “मैं भी वैसा खाना नहीं खाता हूं जैसा मैं अपने सांड़ को खिलाता हूं।” उनके काले रंग के सांड़ ने पिछली बार यह मुकाबला जीता था। कार्यक्रम के आयोजक उस दिन सांड़ों को एक विशेष आहार खिलाते हैं जो अंडों और विभिन्न किस्म के अनाजों से मिलकर बना होता है।

इस मुकाबले के विजेता सांड़ के मालिक को बहुत बड़ा इनाम मिलता है। यही कारण है कि आसपास के गांवों के कई किसान इसमें भाग लेते हैं और इसकी सालोंभर तैयारी करते हैं। वे अपने सांड़ों को विशेष आहार खिलाते हैं, ताकि वे ज्यादा से ज्यादा मजबूत हों। हाल के दिनों में तारुका में होनेवाली सांड़ों की लड़ाई काफी लोकप्रियता मिली है और इसे देखने देश-विदेश से लोग आने लगे हैं। इस कार्यक्रम के प्रायोजकों में से एक समर बहादुर का कहना है कि इसकी शुरुआत 8 साल पहले हुई थी। हालांकि नूवाकोट जिले के कई गांवों में सांड़ों की लड़ाई होती है, लेकिन सबसे ज्यादा लोकप्रियता तारुका गांव को ही मिली है।

स्थानीय निवासी नवराज पंडित कहना है कि सालाना होने वाले इस आयोजन में बड़ी संख्या में युवा शामिल होते हैं। रोजगार के सिलसिले जो लोग बाहर रहते हैं, वो भी इसे देखने लौट आते हैं। उनका कहना है कि इस क्षेत्र में गरीबी काफी अधिक है। इसलिए ज्यादातर युवा भारत और खाड़ी के देशों में कमाई करने जाते हैं। वह खुद इस आयोजन में भाग लेने भारत से आए हैं। माना जाता है कि नेपाल में सांड़ों की लड़ाई की शुरुआत तारुका में जय पृथ्वी बहादुर सिंह ने आज से 200 साल पहले की थी। इस समारोह को लेकर पर्यटन करानेवाली कंपनियों ने भी काफी तैयारी की है। वे सांड़ों की लड़ाई देखने का पैकेज ऑफर कर रही हैं। इस आयोजन में भाग लेने वाले सांड़ों का बीमा किया जाता है।

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