लखनऊ। आज देशभर में गणेशोत्सव की धूम मची है। वैसे तो हर 25 अगस्त को इसकी इस बार गणेशोत्सव बेहद खास है क्योंकि इसे पूरे 125 साल हो रहे हैं। इसकी शुरुआत महाराष्ट्र के पुणे में 1893 में देश के क्रांतिकारी नेता लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने की थी।
देश के लोगों में आजादी के लिए भाव और एकता को लाने के लिए गंगाधर ने गणेशोत्सव का सहारा लिया। दरअसल, 1890 के दशक में स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान तिलक अक्सर चौपाटी पर समुद्र के किनारे जाकर बैठते थे और सोचते थे कि कैसे लोगों को एकजुट किया जाए अचानक उनके दिमाग़ में विचार आया कि क्यों न गणेशोत्सव को घरों से निकाल कर सार्वजनिक स्थल पर मनाया जाए। इससे इसमें हर जाति के लोग शामिल होंगे।
ऐसे ही उसके बाद वीर सावरकर और कवि गोविंद ने नासिक में गणेशोत्सव मनाने के लिए मित्रमेला संस्था बनाई थी। ऐसे ही धीरे-धीरे लोगों की भीड़ जुटी और उनके दिलों में देशभक्ति जागी। लिहाज़ा, गणेशोत्सव के ज़रिए आजादी की लड़ाई को मज़बूत किया जाने लगा। इस तरह नागपुर, वर्धा, अमरावती आदि शहरों में भी गणेशोत्सव ने आजादी का आंदोलन छेड़ दिया था।
बताया जाता है कि सार्वजनिक गणेशोत्सव से अंग्रेज घबरा गए थे। इस बारे में रोलेट समिति की रिपोर्ट में भी गंभीर चिंता जताई गई थी। रिपोर्ट में कहा गया था गणेशोत्सव के दौरान युवकों की टोलियां सड़कों पर घूम-घूम कर अंग्रेजी शासन का विरोध करती हैं और ब्रिटेन के ख़िलाफ़ गीत गाती हैं।