Science & Tech.लखनऊ

नवीनता की व्‍याख्‍या करने की जरूरतः डा.डी. के. श्रीवास्‍तव

नवीन विचार देने में बच्चों का दिमाग सक्षम, नवीनता की व्‍याख्‍या करने की जरूरत, डा. डी.के. श्रीवास्तव संयुक्त निदेशक विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद् उ.प्र., आंचलिक विज्ञान नगरी लखनऊ, तोड़-फोड़-जोड विषयक एक कार्यशाला का शुभारम्भ

 

लखनऊ। आंचलिक विज्ञान नगरी लखनऊ एवं इन्नोवेशन सेन्टर, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद्, उ.प्र. ने एक साथ मिलकर दो दिवसीय (20 एवं 21 जनवरी, 2016) तोड़-फोड़-जोड विषयक एक कार्यशाला का शुभारम्भ आज आंचलिक विज्ञान नगरी में किया। कार्यशाला के उद्घाटन के दौरान डा. डी.के. श्रीवास्तव, संयुक्त निदेशक, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद्, उ.प्र. ने विद्यार्थियों से कहा कि नवीनता क्या है यह तो सभी जानते हैं किन्तु अब इसकी व्याख्या करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि बच्चों का दिमाग नवीन विचार देने के लिए सक्षम होता है परन्तु उन पर ज़बरदस्ती सीखने के लिए दबाव नहीं बनाया जा सकता है बल्कि उनका दिमाग जो पसंद करता है उसे उन्हें करने का मौका दिया जाये। प्रत्येक को हर एक वस्तु जिनका वे इस्तेमाल करते हैं, के बारे में जिज्ञासु होना चाहिए तथा उनके पीछे के विज्ञान एवं रहस्य को समझने की कोशिश करनी चाहिए।

कार्यक्रम के आयोजन का मुख्य उद्देश्य विद्यार्थियों के लिए सीखने का वातावरण तैयार करना है जहाँ विद्यार्थी, दैनिक उत्पादों जिनका वे प्रतिदिन इस्तेमाल करते हैं, जैसे कि छत के पंखे, टेलीफोन, इस्‍त्री, कम्प्यूटर इत्यादि को खोलना, पुनःनिर्माण या उनका पुनः इस्तेमाल किया जाना सिखाया गया। तोड़-फोड़-जोड  कार्यशाला इस प्रकार विद्यार्थियों को उनके दैनिक जीवन में प्रयोग होने वाले उत्पादों के पीछे के वैज्ञानिक सिद्धांतों को समझने का मौका मिलेगा अपितु विश्व की समस्यों के समाधान हेतु अपने नवविचारों के विस्तार का मौका भी मिला। इलेक्ट्रानिक्स एवं रोबोट्स प्रयोग के अंतर्गत विद्यार्थियों ने केन्द्र में स्थापित ‘‘नवप्रवर्तन’’ केन्द्र के भ्रमण के साथ विभिन्न इलेक्ट्रानिक्स तथा रोबोट की विस्तृत कार्य प्रणाली को समझा।DSC_0605

राशिद परवेज़ खान, नवप्रवर्तक जो कि जनपद अमरोहा से उक्त कार्यक्रम के लिए आमंत्रित किये गये थे, ने वायु के संपीडित दाब से चलने वाले इंजन (इंजन कार में प्रयुक्त होने वाला था) का स्वरूप पूर्व में तैयार किया जोकि नवप्रवर्तन का एक प्रयास था।  इस अवसर पर उन्होंने उपस्थित प्रतिभागी बच्चों के साथ अपने विचारों को साझा किया तथा विद्यार्थियों की जिज्ञासा को शांत भी किया। कार्यक्रम के अंत में केन्द्र के परियोजना समायोजक उमेश कुमार ने विभिन्न नवप्रवर्तित उपकरण जैसे कि प्राकृतिक जल-शीतक, बुनाई के क्षेत्र में नवाचार, मच्छरों को नष्ट करने वाला सौर ऊर्जा पर आधारित उपकरण, पकाने वाला बहुउद्देश्यीय वर्तन, पानी में तैरने वाला साबुन, विना बिजली का फ्रिज, गैस से चलने वाली स्त्री (प्रेस), चालक रहित कार व दृष्टिविहीनों के लिए प्रिंटर जैसे नवाचारों के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान की। उन्होंने विद्यार्थियों को सलाह दी कि वे अपने प्रयोगों में निरंतर बदलाव के माध्यम से नवप्रवर्तन कर सकते हैं।

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