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मानद डॉक्ट्रेट की उपाधि से नवाज़े गए भारतवंशी मुस्लिम धर्मगुरु

लंदन | भारतीय मूल के मुस्लिम धर्मगुरु मुहम्मद शाहिद रजा को सामुदायिक हित में सराहनीय काम करने के लिए ब्रिटेन के लिसेस्टर विश्वविद्यालय ने मानद डॉक्ट्रेट की उपाधि से नवाजा है। डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यू डाट लिसेस्टरमरकरी डाट सीओ डाट यूके की सोमवार की रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है। मुहम्मद शाहिद रजा लिसेस्टर सेंट्रल मस्जिद के मुख्य इमाम हैं। विश्वविद्यालय के चांसलर लार्ड ग्रोकोट ने डी मोंटफोर्ट हाल में स्नातक छात्रों और उनके परिजनों की मौजूदगी में रजा को मानद उपाधि दी।

बिहार में जन्मे रजा ने ब्रिटेन आने से पहले मुरादाबाद, आगरा और मेरठ में पढ़ाई की थी। वह 1978 में लिसेस्टर में इस्लामिक सेंटर के मुख्य इमाम बने थे। रजा ने अपना पूरा जीवन राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय, दोनों स्तरों पर मुस्लिम समूहों और अंतरधार्मिक संबंधों के काम में लगाया है। रजा ने कहा, “मेरी हमेशा से कोशिश रही है कि अपने विद्यार्थियों में शैक्षिक उपलब्धि हासिल करने और समाज में योगदान करने वाले अच्छे मूल्यवान सदस्य बनने की इच्छा पैदा करूं। मुझे उम्मीद है कि मुझे मिले सम्मान से लिसेस्टर के युवा मुसलमानों को प्रेरणा मिलेगी।”

रिपोर्ट में बताया गया है कि रजा ने अपने केंद्र में अंतरधार्मिक संवाद को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न धर्मो के प्रतिनिधियों के स्वागत की परंपरा डाली है। उन्होंने लिसेस्टर में मस्जिदों के संघ की भी स्थापना की है। वह ब्रिटेन की शरीयत (मुस्लिम कानून) परिषद के कार्यकारी सचिव हैं। रजा को लिसेस्टर में मुस्लिम समुदाय के लिए दी गई सेवाओं के लिए 2008 में आर्डर आफ ब्रिटिश अम्पायर सम्मान से नवाजा गया था।

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