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‘जाने भी दो यारो’ के निर्देशक कुंदन शाह नहीं रहे

मुंबई, 7 अक्टूबर (आईएएनएस)| ‘जाने भी दो यारो’ जैसी फिल्म, ‘नुक्कड़’ और ‘वागले की दुनिया’ जैसे टेलीविजन धारावाहिक दे चुके फिल्मकार कुंदन शाह का शनिवार सुबह निधन हो गया। उनके परिजनों ने यह जानकारी दी। वह 69 वर्ष के थे।

शाह के एक रिश्तेदार ने आईएएनएस से कहा, उनका सुबह नींद में ही निधन हो गया।

लेखक-अभिनेता-फिल्मकार सतीश कौशिक के अनुसार, शाह का निधन दिल का दौरा पड़ने से हुआ। वह ‘जाने भी दो यारो’ के संवाद लिखने के साथ इसमें अभिनय भी कर चुके हैं।

शाह की अंत्येष्टि शनिवार शाम यहां दादर पश्चिम के शिवाजी पार्क में होगी।

‘मास्टर स्टोरीटेलर’ के रूप में भारतीय फिल्म उद्योग में सराहे जा चुके फिल्मकार 19 अक्टूबर को 70 वर्ष के होने वाले थे।

उन्होंने पुणे स्थित भारतीय फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान (एफटीआईआई) में फिल्म निर्देशन की पढ़ाई पढ़ी थी। पिछले सप्ताह वह संस्थान के एक कार्यक्रम में शामिल हुए थे।

उन्होंने अभिनेता टॉम अल्टर को श्रद्धांजलि भी अर्पित की थी, जिनका निधन 29 सितंबर को हो गया था। शाह ने ‘जाने भी दो यारो’ के दूसरे भाग की एक संभावित पटकथा के बारे में भी चर्चा की थी।

शाह ने एक साक्षात्कार में कहा था कि उन्होंने फिल्म बनाने के लिए 400,000 रुपये के ऋण के लिए आवेदन किया था, लेकिन उत्पादन लागत बढ़ गई और अंत में यह 725,000 रुपये के बजट में बनाई गई, क्योंकि राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम (एनएफडीसी) बतौर निर्माता राजी हो गया था।

उन्होंने आईएएनएस से कहा था, जब मैं फिल्म बना रहा था, तो मैंने कभी नहीं सोचा था कि यह ऐसी प्रशंसित फिल्म होगी। प्रत्येक फिल्म निर्माता के कुछ सपने होते हैं और इस फिल्म को लेकर मेरा जो सपना था, इसने मुझे उससे बहुत ज्यादा दिया है। यह मेरी उम्मीदों से बहुत अधिक था।

फिल्मकार महेश भट्ट ने शाह को एक बहादुर व्यक्ति के रूप में वर्णित किया, जिन्होंने ‘जाने भी दो यारो’ जैसी फिल्म के साथ वैकल्पिक सिनेमा में उत्साह जोड़ा।

अभिनेता सतीश कौशिक ने कहा कि शाह ने ‘कॉमेडी को एक नया चेहरा दिया’, जबकि उनके मित्र सुधीर मिश्रा ने कहा कि शाह ‘बुद्धिमान, दीवाने, शैक्षिक, कल्पनाशील थे।

‘कभी हां कभी ना’ के वर्षो बाद शाह ‘क्या कहना’ के साथ लौटे। इसके बाद उन्होंने ‘हम तो मोहब्बत करेगा’, ‘दिल है तुम्हारा’ जैसी फिल्में बनाई।

इसके अलावा, निर्देशक के रूप में उनकी फिल्म ‘पी से पीएम तक’ व्यावसायिक सफलता हासिल करने में असफल रही थी।

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