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लखनऊ को पहली बार मिलेगी महिला मेयर

लखनऊ। चुनावों में महिलाओं को जब से आरक्षण मिलने लगा है तब से महिलाएं न सिर्फ अपनी शक्तियों का इस्तेमाल कर प्रत्याशी बन रही हैं बल्कि लगातार जीत का परचम भी लहरा रही हैं।

जी हां। दरअसल, नवाबों का शहर लखनऊ इतिहास रचने जा रहा है। लखनऊ सौ साल में पहली बार किसी महिला को अपना मेयर चुनने जा रहा है।

राजधानी में नगर निगम चुनावों के दूसरे चरण के तहत रविवार को मतदान होना है। गौरतलब है कि पिछले 100 साल में लखनऊ की मेयर कोई महिला नहीं बनी है।

लखनऊ की मेयर सीट इस बार महिला के लिए आरक्षित है। सत्ताधारी भाजपा सहित विभिन्न दलों ने महिला प्रत्याशी मैदान में उतारे हैं।मगर इस बार चाहे कोई भी दल जीते, मगर इतिहास बनना तो तय है क्योंकि ऐसा पहली बार होगा जब सौ साल में पहली बार लखनऊ में कोई महिला मेयर बनेगी।

उत्तर प्रदेश  म्यूनिसिपैलिटी कानून 1916 में अस्तित्व में आया। बैरिस्टर सैयद नबीउल्लाह पहले भारतीय थे, जो 1917 में स्थानीय निकाय के मुखिया बने थे। आजादी के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने 1948 में स्थानीय निकाय का चुनावी स्वरूप को बदल कर प्रशासक पद के लिए चुनाव कराना शुरु किया था। इस पद पर पहली बार भैरव दत्त सनवाल नियुक्त हुए थे।

संविधान संशोधन के जरिए 31 मई 1994 को लखनऊ के स्थानीय निकाय को नगर निगम का दर्जा दिया गया। 1959 के म्यूनिसिपैलिटी एक्ट में मेयर पद के लिए चुनाव कराने का प्रावधान किया गया।

फिलहाल, लखनऊ में इससे पहले भले ही कोई मेयर महिला नहीं रही हो लेकिन यहां से तीन बार महिलाएं लोकसभा के लिए जीतकर पहुंची हैं। लखनऊ से शीला कौल 1971, 1980 और 1984 में चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंची थीं।

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Ragini Pandey
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