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बान: अपने देश में विस्थापितों की संख्या 2030 तक आधी रह जाएगी

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संयुक्त राष्ट्र। संयुक्त राष्ट्र के महासचिव बान की-मून ने उम्मीद जताई है कि साल 2030 तक दुनियाभर में अपने ही देश में विस्थापित होकर शिविरों में जीवन बिताने वालों की संख्या घटकर आधी रह जाएगी। इसमें 50 प्रतिशत तक की कटौती होगी। उन्होंने यह टिप्पणी मंगलवार को कांगो के गोमा में इंटरनली डिस्प्लेस्ड पीपुल (आईडीपी) के शिविर का दौरा करने के बाद की। उन्होंने यह भी कहा कि मई में होने वाले विश्व मानवीय शिखर सम्मेलन में दुनियाभर के राष्ट्र प्रमुख इस संबंध में प्रतिबद्धता जताएंगे।

आईडीपी वे विस्थापित होते हैं, जिन्हें विभिन्न कारणों से अपने ही देश में विस्थापन का दर्द झेलना पड़ता है। इनकी स्थिति शरणार्थियों से इस मायने में थोड़ी अलग होती है कि ये अंतर्राष्ट्रीय सीमा पार नहीं करते। संयुक्त राष्ट्र प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने बान के हवाले से कहा, अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को इन लोगों को दी जाने वाली मानवीय सहायता के तरीके में सुधार करना होगा, ताकि कोई पीछे न छूट जाए। यह मई में इस्तांबुल में होने वाले विश्व मानवीय सम्मेलन का एक प्रमुख उद्देश्य होगा। दुजारिक ने कहा, बान ने कहा कि उन्हें आशा है कि 2030 तक विश्व में आंतरिक विस्थापन की स्थिति को 50 प्रतिशत तक कम करने के लिए विश्व के नेता अपनी प्रतिबद्धता जताएंगे। उल्लेखनीय है कि 2014 में करीब 3.8 करोड़ लोगों को हिंसा के कारण अपना देश छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा था। यह आंकड़ा 2013 में 3.33 करोड़ था।

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