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क्या लाएगा प्रभु का रेल बजट

suresbprabhu

नई दिल्ली| रेल मंत्री सुरेश प्रभु गुरुवार को वित्त वर्ष 2016-17 का रेल बजट पेश करेंगे और आम आदमी तथा कारोबारियों के लिए एक बड़ा सवाल यह है कि क्या यात्री और माल ढुलाई किराया बढ़ाया जाएगा। पिछले वर्ष के रेल बजट में यात्री किराया नहीं बढ़ाया गया था, लेकिन माल ढुलाई किराया 2.1 फीसदी बढ़ाकर 10 फीसदी कर दिया गया था। इस बार उद्योग संघों की मांग है कि यात्री किराया बढ़ाया जाए। एसोचैम ने कहा, “यात्री किराया बढ़ाने के लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति का अभाव है, हालांकि आम आदमी समयबद्धता, स्वच्छता, सुरक्षा जैसी बेहतर सेवाओं के लिए अधिक खर्च करने के लिए तैयार है।”

प्रभु के सामने सबसे बड़ी चुनौति संचालन अनुपात बेहतर करने की है। उन्होंने पिछले बजट में इसे घटाकर 88.5 फीसदी पर लाने का वादा किया था। वर्ष 2013-14 में यह 93.6 फीसदी और 2014-15 में 91.8 फीसदी था। वैश्विक मानक हालांकि 75-80 फीसदी या उससे कम है। 1989-90 के बाद से देश में रेल मार्गो की कुल लंबाई सिर्फ 0.06 फीसदी बढ़ी है। यात्री संख्या और माल ढुलाई हालांकि इस बीच क्रमश: 3.3 फीसदी और 2.2 फीसदी बढ़ी है। देश में मालगाड़ियों और यात्री गाड़ियों की औसत गति क्रमश: 25 किलोमीटर प्रति घंटा और 70 किलोमीटर प्रति घंटा है। यह भी दुनिया में सबसे कम है।

रेल मंत्री को वेतन में 40 फीसदी (320 अरब रुपये) वृद्धि से निपटने के लिए कोष जुटाने पर भी विचार करना होगा। जेएलएल इंडिया के अध्यक्ष अनुज पुरी ने कहा, “भारतीय रेल के पास देशभर में विशाल भूमि है। इससे यह भूमि उपयोग बदलाव संबंधी विकास में एक बड़ा हितधारक हो सकता है।” पुरी ने कहा, “इस बार के बजट में हमें उम्मीद है कि रेल मंत्री शहरी क्षेत्रों में रेलवे की भूमि का दोहन करने पर गौर करेंगे।” क्षेत्र के हितधारकों के मुताबिक, प्रभु रेल डिब्बों की संख्या बढ़ाने, भौतिक अवसंरचना विकास, सार्वजनिक-निजी साझेदारी मॉडल सुधारने, यात्री सुविधा में सुधार और रेल परिवहन को प्रतिस्पर्धात्मक बनाने पर भी गौर करेंगे।

भारतीय रेल से रोजाना करीब 2.3 करोड़ लोग यात्रा करते हैं, जो आस्ट्रेलिया की आबादी के बराबर है। दैनिक माल ढुलाई का स्तर भी 26.5 लाख टन है। देश में कुल 7,172 स्टेशन, 12,617 यात्री रेलगाड़ियां और 7,421 मालगाड़ियां हैं और भारतीय रेल का नेटवर्क कश्मीर के बारामुला से तमिलनाडु के कन्याकुमारी तक तथा अरुणाचल प्रदेश के नाहरलागुन से गुजरात के बंदरगाह शहर ओखा तक फैला हुआ है।

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