नई दिल्ली/पुणे। किसी का स्पर्म जमा कर उसके बाद उस स्पर्म से मां बनने की खबर तो आपने बहुत सुनी होगी, लेकिन एक ऐसी खबर अब हम आपको बताने जा रहे हैं जिसे सुनकर आपको विश्वास ही नहीं होगा। दरअसल एक ताजा मामले में यह पता चला है कि एक 27 वर्षीय मृतक अपनी मां की खुशी का कारण बना है।
आपको बता दें कि, वर्ष 2013 में जर्मनी में पढ़ाई करने गया यह 27 वर्षीय युवक ब्रेन ट्यूमर की चपेट में आ गया। इलाज के समय चिकित्सक ने युवक के सामने यह आशंका जताई कि कीमोथेरेपी के कारण वह कभी बाप नहीं बन सकेंगे। ऐसे में युवक की सहमति से पहले स्पर्म को संरक्षित किया गया, उसके बाद कीमोथेरेपी शुरू हुई।
मई, 2013 में भारत लौटने के बाद युवक मुंबई लौटा। भारत में इलाज और ऑपरेशन कराने के दो साल तक वह सही रहा। हालांकि, युवक एक बार फिर धुंधली नजरों और कमजोर आवाज से परेशान होने लगा। उसकी तबीयत बिगड़ती गई और वर्ष 2016 में उसकी मौत हो गई।
स्पर्म को जर्मनी से भारत मंगाया : मृतक की 49 वर्षीय मां जो पेशे से शिक्षक हैं उन्हें बेटे का स्पर्म जर्मनी में संरक्षित होने की जानकारी उसकी मौत से पहले हो चुकी थी। ऐसे में उन्होंने संबंधित स्पर्म बैंक से संपर्क किया और औपचारिकताएं पूरी करने के बाद बेटे के स्पर्म को भारत मंगाया।
पुणे स्थित सहयाद्री हॉस्पिटल में IVF प्रक्रिया के लिए संपर्क करने के बाद बांझपन विशेषज्ञ सुप्रिया पुराणिक ने 49 वर्षीय मां की मदद की। डॉ. सुप्रिया ने बताया कि वे खुद सरोगेट मदर बनना चाहती थीं, लेकिन उनका गर्भ भ्रूण के लिए फिट नहीं था।
जन्में जुड़वां बच्चे : डॉ. सुप्रिया ने बताया कि मृतक की मां की 38 वर्षीय कजिन द्वारा सरोगेसी की सहमति देने के बाद भ्रूण को उनके गर्भ में स्थापित किया गया। पहले ही प्रयास में कजिन गर्भधारण करने में सफल रहीं, और बीते 12 फरवरी को उन्होंने आसानी से जुड़वां बच्चों (एक लड़का और एक लड़की) को जन्म दिया।