लखनऊ। जब यूपी में विकास का ब्लूप्रिंट बन चुका है, सीएम योगी आदित्यनाथ और उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के बीच बढ़ती दूरी ने बीजेपी ही नहीं बल्कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ‘आरएसएस’ की भी नींद उड़ाकर रख दी है। आपको बता दें कि ये दोनों के बीच मतभेद यूपी में योगी सरकार बनने के तुरंत बाद ही खुलकर सामने आ गए थे, लेकिन ये कम होने का नहीं ले रहे बल्कि और बढ़ते ही नज़र आ रहे हैं। सरकार में नंबर एक और दो के नेताओं के बीच इस तरह मतों का अन्तर पार्टी के अच्छे संकेत के रूप में नहीं दिख रहा है।
हाल ही में हुए इन्वेस्टर्स समिट 2018 के सफल आयोजन और इसमें पीएम नरेंद्र मोदी और केंद्र सरकार की सक्रिय भागीदारी यूपी के प्रति पार्टी और संघ की दिलचस्पी का परिचायक है और देश के सबसे बड़े प्रदेश को एक बार फिर प्राथमिकताओं की सूची में ऊपर रखने की प्रक्रिया है। इन परिस्थितियों में यूपी के शीर्ष नेतृत्व में इस तरह का दुराव पार्टी की योजनाओं के लिए बहुत ही खतरनाक सिद्ध हो सकता है।
सरकार के कुछ उच्च पदस्थ सूत्रों से मीडिया को यह बातचीत के दौरान बताया, कि सीएम योगी और केशव मौर्य के बीच रिश्तों में जो खटास/कड़वाहट है यह आने वाले समय के लिए ठीक नहीं हैं। खास बात तो यह है कि अधिकांश नेताओं का मानना है कि इस कहानी में मौर्य ही गलती पर हैं।
पीडब्लूडी जैसा महत्वपूर्ण विभाग और उप मुख्यमंत्री का पद पाने के बावजूद अनावश्यक महत्वाकांक्षा और मुख्यमंत्री की अवहेलना पार्टी, सरकार और प्रदेश सभी के लिए अच्छा नहीं है। यहां यह उल्लेखनीय है, कि जहां एक तरफ मुख्यमंत्री की साफ़-सुथरी कार्यप्रणाली संदेह के परे है, वहीं मौर्य के विभाग के बारे में जनधारणाएं इसके विपरीत हैं। अब तो बस देखने वाली बात तो यह है कि आने वाले समय में पार्टी इससे कैसे उबरती है।