LifestyleTop News

मिलावटी रंग फीकी न कर दें आपकी होली, बचने के लिए आजमाएं ये देशी नुस्खे

बच्चे बढ़े, बूढ़ें और युवा सभी लोग होली के त्योहर का बहुत ही बेसब्री से इंतजार कर रहे, तो लो भाई आ गई होली। होली में कुछ ही दिन शेष बचे हैं। ऐसे में लगभग सभी घरों में होली की तैयारियां होना शुरू हो गई हैं या फिर यूं कहें कि हो गई हैं। लेकिन ऐसे खुशी के माहोल में लोगों के अंदर मिलावटी रंगों का डर भी है।

जी हां। हम सही कह रहे हैं होली खेलने से पहले अक्सर लोगों को मिलावटी रंगों से त्यौहार बेरंग होने का खौफ सताता रहता है। ऐसे में आज हम आपको मिलावटी रंगों से बचाने के लिए कुछ ऐसे सुझाव देने जा रहे हैं जिससे आप भी बेफिक्र होकर होली खेल सकेंगे।

होली के इस पर्व के मौके पर बाजार में भारी मात्रा में रंग व गुझिया, गुलाल पहुँच चुके हैं। फ़ूड डिपार्टमेंट की टीम खाद्य पदार्थों की शॉप व खोया मंडी में छापेमारी कर रही है। लेकिन जिला प्रशासन की तरफ से मिलावटी रंगों के खिलाफ अभी तक किसी प्रकार का कोई एक्शन नहीं लिया गया है।

अगर वहीँ हम बात करें कानपुर शहर की तो यहां ग्रामीण क्षेत्रों व खाली प्लाटों में नकली रंगों का भारी मात्रा में कारोबार चल रहा है। मुनाफा कमाने के लिए रंग व्यवसायी रंगों में हानिकारक तत्व मिला रहे हैं।

बता दें कि, कानपुर समेत आस-पास के जनपदों में इन नकली रंगों की सप्लाई की जा रही है तो यदि आप भी इन नकली रंगों से बचकर अपना त्यौहार मानना चाहते हैं तो हर्बल कलर का यूज करें, साथ ही साथ बच्चों को केमिकल युक्त हानिकारक रंगों से दूर रखें।

बच्चों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए आप खुद अपना रंग तैयार कर सकते हैं। लाल गुलाल बनाने के लिए कुसुम या फिर गुलाब की पंखुडियो को पीस कर आटे के साथ मिलाकर गुलाल बना सकते हैं। लाल चन्दन के पाउडर को आटे या फिर मैदे में मिलाकर लाल रंग का गुलाल बना सकते हैं। यह स्किन के लिए बहुत ही लाभकारी होता है। पीला गुलाल बनाने के लिए हल्दी या फिर कसूरी हल्दी को बारीक़ पीस कर बेसन के साथ मिलाकर पीले रंग का गुलाल बना सकते हैं। हल्दी और मुल्तानी मिटटी का भी यूज करके पीले रंग का गुलाल बना सकते हैं।

होली के त्यौहार में अधिकतर रंग व्यवसायी अधिक से अधिक मुनाफा कमाने के लिए हानिकारक तत्वों का इस्तेमाल करते हैं, जिसके परिणाम जनता को अत्यधिक नुकसान पहुंचा सकते हैं। एक ओर जहां ये व्यवसायी लाल रंग बनाने के लिए डीजल, ऑयल, कॉपर सल्फेट व शीशे के पाउडर का इस्तेमाल करते हैं। तो वहीँ ये मिलावटी रंग सांस लेने में दिक्कत पैदा करते हैं। इन रंगों के इस्तेमाल से चक्कर और सर दर्द जैसी बीमारियों की शिकायत होती है।

ऐसे में हम आपको बता दें कि होली के पर्व पर आप और सभी लोग इतना न खो जाएं कि अपनी सेहत का ख्याल रखना भी फूल जाएं हमें रंगों का इस्तेमाल सोच-समझकर करना चाहिए व कोशिश करनी चाहिए कि होली पर हर्बल कलर ही इस्तेमाल करें।

=>
=>
loading...
Dileep Kumar
the authorDileep Kumar