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आखिर सीएम योगी को क्यों पसंद है इतना ये फूल, जानें कैसे होता है तैयार

झांसी। जरबेरा को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का चहेता फूल माना जाता है। जिस शहर में भी योगी का कार्यक्रम होता है, वहां मंच की सजावट के लिए जरबेरा का केसरिया फूल जरूर मंगाया जाता है।

सीएम आदित्यनाथ के पसंदीदा फूल जरबेरा की खेती जिला झांसी के मोंठ तहसील के ग्राम पथर्रा में की जा रही है। बुंदेलखंड के इस एक मात्र प्लांट में किसान अमित सिंह यादव एक एकड़ जमीन में फूल लगाए हुए हैं।

बता दें कि अमित सिंह के पिता शिव कुमार यादव ने लंबे समय तक विभिन्न किस्म के बीजों का उत्पादन किया। मदर डेयरी की सफल मटर, टीडीसी सहित कई संस्थाओं के लिए बीज उत्पादन और प्रदर्शन के माध्यम से वे क्षेत्र में एक अच्छों किसानों में शुमार थे। उनके निधन के बाद अमित ने अपने पिता के प्रोजेक्ट को धरातल पर लाने के लिए आधुनिक तरीके से बीज उत्पादन के अलावा फूलों की खेती करना शुरु की।

अमित सिंह एक एकड़ में लगभग 65 लाख रुपये से अधिक की लागत से जरबेरा की खेती कर रहे हैं। इसका उत्पादन सुरक्षित पॉली हाऊस में होता है। पॉली हाऊस को बनाने और पौधों को लगाने के लिये अमित ने पूना से विशेषज्ञ बुलाए।

तीनों मौसम में दिन का तापमान 18 से 24 डिग्री और रात का तापमान 12 से 14 डिग्री रखा जाता है। औसतन 20 से 30 डिग्री तापमान में जरबेरा की अच्छी पैदावार मिल जाती है। जरबेरा की 6 किस्में केसरिया, गुलाबी, पीला, लाल, पिंक पीला एवं सफेद का उत्पादन अमित अपने पथर्रा के प्लांट में कर रहे हैं।

अमित सिंह ने एक एकड़ में पैड बिछाकर लगभग 27 हजार पेड़ लगाये हैं। दस-दस सेंटीमीटर की दूरी पर जरबेरा के पेड़ लगाये गये है। हॉलैंड के बीज को पूना महाराष्ट्र में कल्चर के माध्यम से पौधे बनाये गये।

अमित का कहना है कि एक दिन में दो से ढाई हजार फूलों का उत्पादन किया जा रहा है। एक फूल की कीमत तीन से पांच रुपये मिल रही है। जरबेरा को ताजा रखने के लिये एक एयर कंडीशनर कोल्ड स्टोरेज रूम तथा स्प्रे करने के लिये सिंचाई सिस्टम लगाया गया है। खाद, पानी स्प्रिंकलर के माध्यम से देने की व्यवस्था है।

पॉली हाउस की वजह से फूल में कीट एवं बीमारियां हमला नहीं कर पाती है। प्रकाश, तापमान, आपेक्षित आर्द्रता, कार्बन डाई ऑक्साइड आदि को पॉली हाऊस में आसानी से कंट्रोल किया जा सकता है। इसके लिये सिस्टम लगाया गया है। पौधों को जरूरत के मुताबिक पानी बूंद-बूंद के रुप में जड़ों में पहुंचाया जाता है।

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Dileep Kumar
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