वाराणसी। चुनाव चाहे छोटा हो या फिर बड़ा जीत के लिए ताकत तो लगानी ही पड़ती है, लेकिन फूलपुर और गोरखपुर के लोकसभा उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी को मिली करारी हार का असर पीएम नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में देखने को मिला है। बता दें कि यहां पर होने वाले जिला योजना समिति के सदस्यों के चुनाव के लिए मंगलवार 20 मार्च को नामांकन के लिए बीजेपी की तरफ से एक भी सदस्य नहीं पहुंचा, जिसके कारण वाराणसी में चर्चाओं का बाजार गर्म है।
दरअसल, जिला योजना समिति के लिए नगर निगम के निर्वाचित पार्षदों और रामनगर नगरपालिका के सभासदों और गंगापुर नगर पंचायत के सदस्यों में से 13 सदस्य चुने जाते हैं। निर्वाचित सदस्यों का कार्यकाल पांच साल होता है। ये सदस्य ही जिला योजना समिति की बैठक में भाग लेते हैं।
मंगलवार 20 मार्च को 13 पदों के लिए नामांकन होना था, जिसमें समाजवादी पार्टी, कांग्रेस, बसपा और निर्दलीय ने संयुक्त प्रत्याशी आम सहमति से उतार दिए। सपा जिलाध्यक्ष डॉ. पीयूष यादव, महानगर अध्यक्ष राजकुमार जायसवाल, रमेश राजभर, जितेंद्र यादव कांग्रेस के महानगर अध्यक्ष सीताराम केशरी, रामनगर नगरपालिका अध्यक्ष रेखा शर्मा और बसपा के प्रदीप मौर्या तो नामांकन को पहुंचे लेकिन शाम चार बजे तक भाजपा के दावेदारों का इंतजार होता रहा और कोई भी नामांकन के लिए नहीं पहुंचा।
एडीएम प्रशासन ने एमएन उपाध्याय के न्यायालय में 13 उम्मीदवारों ने 13 पदों के लिए नामांकन पत्र दाखिल किए। कांग्रेस से 6, सपा से 4 और तीन प्रत्याशियों ने निर्दल के रूप में नामांकन किया।