वाराणसी। काशी के घाटों का आकर्षण पूरी दुनिया में है। काशी का अल्हड़पन व गंगा किनारे बसे घाटों की जिंदगी ,उनके जीवन का दर्शन व गंगा के एहशाह के लिए यहाँ पूरे विश्व से लोग आते है। दुनिया का सबसे प्राचीन व जीवंत शहर काशी में अब टेंट सिटी बसने जा रहा है। टेंट सिटी काशी के ऐतिहासिक घाटों के ठीक सामने रेत पर क़रीब नवरात्री से शिवरात्री तक बसेगा। गंगा के किनारे इस तम्बुओं के शहर से आप ख़ूबसूरत अर्धचंद्राकार 84 घाटों का नजारा देख सकेंगे। टेंट सिटी में पर्यटकों के लिए खान-पान ,पारंपरिक मनोरंजन,अध्यात्म व कॉरपोरेट वर्ल्ड के लिए सेमिनार व कांफ्रेंस करने की भी सुविधाएं होंगी। चांदनी रात में टेंट सिटी की आभा देखने लायक होगी। होटल के बजाय गंगा के किनारे रुकना और सुबह उठकर मां गंगा के दर्शन के साथ घाट की सुंदर आभा को निहारना भी नए अनुभव के रूप में शामिल होगा। ग़ुजरात के रन ऑफ कच्छ और जैसलमेर के सेंड ड्यून्स के तर्ज़ पर होगा काशी का टेंट सिटी। वाराणसी विकास प्राधिकरण ने इसके लिए एक्सप्रेशन ऑफ़ इंटरेस्ट जारी कर चुकी है जिसकी अंतिम तिथि 15 मई 2022 राखी गई है।
काशी के कायाकल्प के बाद इसके बदलते स्वरुप को निहारने के लिए वाराणसी में लगातार पर्यटकों की संख्या बढ़ती जा रही है। ऐसे में योगी सरकार पर्यटकों को बेहतर सुविधा देने के लिए गंगा के किनारे टेंट सिटी बनाने का प्रस्ताव ला रही है। वाराणसी विकास प्राधिकरण की उपाध्यक्ष ईशा दुहन ने बताया कि गंगा के उस पार अस्सी घाट के सामने रेत पर रामनगर के कटेसर क्षेत्र में लगभग 500 हेक्टेयर में तंबुओं का शहर बसाया जाएगा। जो जरूरत के मुताबिक बढ़ाया जा सकता है। यहाँ धर्म,अध्यात्म व संस्कृति का संगम होगा। टेंट सिटी में हर व सुविधा होगी जो किसी पर्यटन स्थल पर होती है। यहाँ ठेठ बनारसी खान पान के साथ पारम्परिक सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी आनंद खुली हवा में ले सकेंगे। इसके साथ ही वाटर एडवेंचर स्पोर्ट्स (जेट स्की ,बनाना बोट पैरासेलिंग ,कैमल और हॉर्स राइडिंग ,फिसिंग ) का लुफ़्त भी पर्यटक ले सकेंगे। टेंट सिटी में रहकर पर्यटक निर्मल व अविरल गंगा के कोलाहल के बीच टेंट में घर जैसे माहौल पाएंगे। योग ,मेडिटेशन,लाइब्रेरी ,आर्ट गैलरी के लिए शांत जगह होगी। पर्यटकों के पैकेज टूर में भी टेंट सिटी नजर आएगी। देशी विदेशी पर्यटकों को उनके मनपसंद का व्यंजन भी उपलब्ध होगा । सुबहे-ऐ-बनारस के साथ ही गंगा किनारे सुबह व शाम माँ गंगा की आरती होगी। मोक्ष की नगरी काशी से प्राप्त दिव्य ज्ञान को पर्यटक मनरूपी रेत पर अपनी अनुभूति की आकृति भी उकेर पाएंगे। जेटी होगी जहाँ से आप गंगा में सैर करने के लिए क्रूज़ व बजरे पर सवार हो सकेंगे। टेंट सिटी नवरात्री के आस -पास शुरू होकर शिवरात्री के आस -पास तक रहेगा। गंगा में बाढ़ के समय रेत पर पानी आने के कारण तम्बुओं का हटा दिया जायेगा।
विकास प्राधिकरण की उपाध्यक्ष ईशा दुहन ने बताया कि आकड़ो के मुताबिक पीक सीज़न में पर्यटकों के आमद से होटल में कमरे कम पड़ जाते है। जिसमे ये योजना मददगार साबित होगी। सरकार चाहती है कि काशी आना वाला पर्यटक कम से कम 7 दिनों तक यहां रुके। यहाँ के मंदिर जो धर्म और आध्यात्म से जोड़ते हैं, वहीं बुद्ध की तपोस्थली सारनाथ जीवन के दर्शन को समझाता है। तो तम्बुओं के डेरे में उनको बनारस के सभी रस की अनुभूति कराई जाएगी। पहले कि सरकारों ने बनारस में पर्यटन उद्योग को लेकर कोई ठोस योज़ना नहीं बनाई थी। पहले कछुआ सेंचुरी के कारण गंगा पार रेती में किसी तरह के आयोजन पर एनजीटी का आदेश आड़े आ रहा था, लेकिन बीजेपी सरकार के प्रयास से कछुआ सेंचुरी शिफ़्ट होने के बाद इस समस्या का भी समाधान हो गया है और गंगा पार फैली रेती को पर्यटन का नया केंद्र बनाने की तैयारी शुरू हो गई है।
तम्बुओं के इस शहर में पूरी दुनिया में मशहूर वाराणसी साड़ी ,बनारसी ब्रोकेड ,लकड़ी के ख़िलौने,गुलाबी मीनाकारी स्टोन कार्विंग के साथ ही जी.आई. उत्पाद व वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट भी होंगे। धर्म की राजधानी काशी में मूल भूत सुविधाएं तेजी से विकसित हुई है। जल,थल व नभ से देश दुनिया से जुड़ने के कारण यहाँ व्यापारिक गतिविधियां तेजी से बढ़ती जा रही है। टेंट सिटी एनएच -19 से महज 4 किलोमीटर ,रामनगर फोर्ट 1 किलोमीटर ,वाराणसी रेलवे स्टेशन 10 किमी, पंडित दीनदयाल उपाध्याय रेलवे स्टेशन से 13 किलो और वाराणसी एयरपोर्ट से 33 किलोमीटर की दूरी पर होगा।