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गन्ने ने खोली महिला सशक्तिकरण की नई राह

लखनऊ। योगी सरकार की नीतियों ने चीनी उद्योग में भी महिला सशक्तिकरण की नई राह खोल दी है। गन्ना अब किसानों को समृद्ध बनाने के साथ ही महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने का बड़ा माध्यम बनकर उभरा है। महिला स्वयं सहायता से जुड़ी प्रशिक्षित महिलाएं अब गन्ने की उन्नत और रोगमुक्त नई प्रजाति के बीज (सीडलिंग) तैयार कर रहीं हैं। इस कार्य में 60 हजार के करीब महिलाएं हाथ बंटा रहीं और साढ़े सात हजार से लेकर दो लाख रुपये प्रति माह तक कमा रहीं हैं।

अभी तक महिलाएं श्रमिक अथवा गन्ना किसान के परिवार के सदस्य के रूप में गन्ने की बुआई, निराई, सिंचाई, ढुलाई और छिलाई तक के काम तक सीमित थीं । इस कार्य में श्रमिक महिलाओं को उनके काम के मुताबिक मजदूरी मिलती थी । जबकि गन्ने की खेती से लेकर अन्य कार्य पुरुषों के ही जिम्में थी । लेकिन मुख्यमंत्री योगी की पहल ने गन्ने की खेती में महिलाओं की आत्मनिर्भरता की नई राह खोल दी है। प्रदेश के 37 जिलों में 3003 महिला समूहों के जरिये इस कार्य में अबतक जुड़ी 58905 महिलाएं गन्ना बीज की उन्नत प्रजाति के पौधे तैयार कर रहीं हैं। गन्ना विकास विभाग ने इसके लिए महिलाओं को सिंगल बड और सिंगल बड चिट विधि से सीडलिंग विधि से पौधे तैयार करने प्रशिक्षण दिया है। अपने इस हूनर के जरिये महिलाएं सीडलिंग तैयार कर रहीं हैं।

सीडलिंग विधि से गन्ने के उन्नतशील और नवीन प्रजाति के पौधे तैयार किये जाते हैं। गन्ने के इन पौधों खासियत होती है कि इनकी बुआई से पैदावार और रिकवरी भी अधिक होती है। बीज भी अन्य प्रजातियों की अपेक्षा कम लगता है । साथ ही गन्ने की फसल रोगमुक्त भी होती है। महिला समूहों ने अब तक 24.6 करोड़ सीडलिंग का उत्पादन किया है। इससे किसानों को 78.75 लाख कुन्तल गन्ने की नई प्रजाति का बीज उपलब्ध होगा। इस विधि से तैयार गन्ने के बीज की खासियत यह है इसकी बुआई करने से फसल रोग मुक्त और पैदावार अधिक होती है। सीडलिंग के उत्पादन और वितरण से महिलाओं की सालाना आमदनी प्रति समूह 75 हजार से लेकर 27 लाख रूपये और समूह की प्रति महिला की प्रति माह की आमदनी साढ़े सात हजार से लेकर दो लाख रुपये तक आमदनी कर आत्मनिर्भर हो रहीं हैं।

गन्ना बीज तैयार करने में महिलाओं की भागीदारी से चीनी उद्योग रोजगार का जरिया बन रहा है।वहीं गन्ने से 70 लाख लोगों को रोजगार मिला है। डेढ़ लाख लोग स्थायी और आठ लाख लोग अप्रत्यक्ष रूप से चीनी उद्योग से रोजगार कर रहे हैं।

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BRIJESH SINGH
the authorBRIJESH SINGH