Uttar Pradesh

किसानों के मन को भाया मिलेट्स, लक्ष्य से अधिक हुई रकबे पर बोआई

लखनऊ। मिलेट्स (मोटे अनाज या श्रीअन्न) की खेती उत्तर प्रदेश के किसानों को भाने लगी है। दरअसल भारत की पहल पर 2023 को अंतरराष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष घोषित किये जाने के बाद से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार द्वारा इसको लोकप्रिय बनाने, इसकी खूबियों को बताने के लिए जो आक्रामक अभियान चलाया यह सब उसी का नतीजा हैं। जायद के मौजूदा सीजन में लक्ष्य से अधिक रकबे पर बोआई इसका सबूत है।

लक्ष्य से 104 फीसद रकबे पर हुई मोटे अनाजों की बोआई

मिले आंकड़ों के अनुसार योगी आदित्यनाथ की सरकार ने जायद के फसली सीजन में 2.56 लाख हेक्टेयर फसल आच्छादन का लक्ष्य रखा था। इसकी तुलना में 2.68 लाख हेक्टेयर में किसानों ने मोटे अनाजों समेत इस सीजन में बोई जाने वाली अन्य फसलों की बोआई की। किसानों को बहुपयोगी मक्के की खेती सबसे पसंद आयी। मक्के के बोआई रकबे का लक्ष्य सरकार की ओर से 1.79 लाख हेक्टेयर का रखा गया था। इसकी तुलना में बोआई 1.93 लाख हेक्टेयर में हुई। बाजरे का लक्ष्य 0.79 लाख हेक्टेयर का था, जबकि बोआई करीब 0.74 लाख हेक्टेयर पर हुई। सावां भी लक्ष्य के सापेक्ष 0.68 फीसद रकबे में बोया गया। दलहनी (उड़द, मूंग ) तिलहन (मूंगफली) की खेती की बोआई का रकबा लक्ष्य के सापेक्ष क्रमशः 96.64, 82.50 फीसद रहा।

दलहन का रकबा 91 हजार हेक्टेयर से बढ़कर 1.44 लाख हेक्टेयर तक पहुंचा

मालूम हो कि इसके पहले प्रदेश में जायद में लगभग 45 हजार हेक्टेयर में उर्द और लगभग 47 हजार हेक्टेयर में मूंग का आच्छादन होता रहा है। मसलन दोनों की खेती का कुल रकबा 91 हजार हेक्टेयर था, जो इस सीजन में बढ़कर करीब 1.44 लाख हेक्टेयर हो गया।

किसानों की जागरूकता के लिए सरकार ने चलाया था आक्रामक अभियान

किसान एवं आम लोग मोटे अनाजों के प्रति जागरूक हों, इसके लिए करीब 9 महीने पहले ही सरकार ने चरणबद्ध तरीके से जमीनी स्तर पर आक्रामक अभियान चलाने की मुकम्मल योजना तैयार कर ली थी। योजना के तहत किसानों को जायद में मोटे अनाजों एवं अन्य मौसमी फसलों के लिए प्रदेश के कृषि विभाग की ओर से किसानों को उनके कृषि जलवायु क्षेत्र की उपयोगिता के अनुसार उन्नत प्रजाति के बीजों के निशुल्क मिनीकिट भी दिये गये।

डेढ़ लाख किसानों को दिए गये बीज के निशुल्क किट

इस योजना के तहत करीब डेढ़ लाख किसानों को उर्द, मूंग और रागी बीजों के निशुल्क मिनीकिट बांटे गये। इस पर करीब 7.43 करोड़ रुपये की लागत आने का अनुमान है। इस क्रम में किसानों को उर्द एवं मूंग के 4-4 किग्रा बीज प्रति मिनीकिट तथा मडुआ (रागी) के 3-3 किग्रा बीज प्रति मिनीकिट कृषि विभाग के निर्धारित राजकीय कृषि बीज भण्डारों से वितरित कराया गया। बढ़ा रकबा सरकार के इन्हीं प्रयासों का परिणाम है।

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BRIJESH SINGH
the authorBRIJESH SINGH