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जानिए अमेरिका को दहला देने वाले 9/11 हमले का पूरा सच, कैसे किया था ओसामा को खत्म

अमेरिका में 11 सितंबर 2001 को हुए आतंकी हमलों से पूरी दुनिया दहल उठी थी। चार अलग-अलग विमानों को हाईजैक करने के बाद अल-कायदा के आतंकियों ने इन्हें वर्ल्ड ट्रेड सेंटर, पेंटागन और अलग-अलग जगहों को तबाह करने में इस्तेमाल किया। 9/11 हमलों में मरने वाले लोगों की तादाद करीब 3 हजार के करीब रही थी। मृतकों के लिहाज से यह आज भी दुनिया की सबसे बड़ी आतंकी घटना थी। इस घटना के बाद अमेरिका ने आतंकवाद को खत्म करने के लिए कई कदम उठाए, लेकिन उन कदमों का क्या और कितना असर हुआ, इसका अंदाजा हमें 9/11 के बाद हुए घटनाक्रमों से चलता है।

क्या हुआ था 9/11 हमलों के दिन, आतंकियों ने कैसे दिया था अंजाम?

अल-कायदा के आतंकियों ने 11 सितंबर 2001 की सुबह चार विमानों को हाईजैक कर लिया था। इन सभी का मकसद विमानों को अलग-अलग ऐतिहासिक स्थलों पर क्रैश कराने का था। सबसे पहला क्रैश अमेरिकन एयरलाइन फ्लाइट 11 का हुआ था, जो कि न्यूयॉर्क शहर में सुबह 8.46 बजे वर्ल्ड ट्रेड सेंटर के उत्तरी टावर से टकराई थी। इसके 17 मिनट बाद ही यूनाइटेड एयरलाइंस फ्लाइट 175 बिल्डिंग के दक्षिणी टावर से टकराई।

9/11 को हुई इन चार घटनाओं में 2977 लोगों की मौत हुई थी। इनमें 19 हाईजैकर भी शामिल रहे। जो लोग मारे गए उनमें चार विमानों में सवार 246 लोग, वर्ल्ड ट्रेड सेंटर और उसके आसपास के इलाके में 2606 लोग और पेंटागन में मौजूद 125 लोग शामिल थे। मारे गए ज्यादातर लोग आम नागरिक थे, लेकिन राहत और बचाव कार्य के दौरान 344 बचावकर्मी, 71 पुलिसकर्मी और 55 सैन्यकर्मी भी मारे गए थे।

हमलों के बाद क्या घटनाक्रम हुए?

इस हमले का कनेक्शन आतंकी संगठन अल-कायदा से मिलने के बाद अमेरिका को जो जानकारी मिली, उसके मुताबिक, हमलों की साजिश अफगानिस्तान में रची गई और अल-कायदा के आतंकियों और गुट के सरगना ओसामा बिन-लादेन को अफगानिस्तान में कुछ साल पहले ही गठित हुई तालिबान सरकार का समर्थन हासिल था।

2 मई 2011: ओसामा बिन-लादेन को मारकर अमेरिका का आतंकवाद पर जीत का दावा

9/11 हमलों के मुख्य साजिशकर्ता और अल-कायदा के सरगना ओसामा बिन-लादेन की लोकेशन पता लगने के बाद अमेरिका ने पाकिस्तान के ऐबटाबाद में अपनी नेवी सील्स टीम को गुपचुप मिशन पर भेजा। इस टीम ने ओसामा बिन-लादेन को मारने के बाद उसका शव कब्जे में लेकर किसी अज्ञात जगह दफन कर दिया। अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति बराक ओबामा ने इसे दुनियाभर के आतंकी संगठनों के लिए चेतावनी करार दिया। उन्होंने कहा कि अमेरिका अपने दुश्मनों को खत्म करने के लिए कहीं भी पहुंच सकता है।

29 फरवरी 2020: अमेरिकी सेना का अफगानिस्तान मिशन खत्म करने के लिए तालिबान से समझौता

अमेरिका और तालिबान ने कतर के दोहा में शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए। रिपोर्ट्स के मुताबिक, अमेरिका ने 2018 में ही तालिबान से गुपचुप तरीके से बातचीत की कोशिशें शुरू कर दी थीं। दोहा में समझौते के तहत अमेरिकी सेनाओं को 14 महीने के अंदर अफगानिस्तान से लौटना था। बदले में तालिबान ने वादा किया कि वह अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल आतंकी संगठनों को पनपने में नहीं होने देगा। इसके बाद अगले 18 महीनों में अमेरिका ने धीरे-धीरे अपने सैनिक अफगानिस्तान से निकाल लिए।

 

 

 

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