Uttar Pradesh

चाचा-भतीजे का रथ, मुलायम सिंह की तस्वीर…यूपी की सियासी पिच पर ‘यादव कुनबे’ में घमासान

लखनऊ/मथुरा।(द्वारकेश बर्मन,वरिष्ठ पत्रकार)

उत्तर प्रदेश में चार महीने बाद होने जा रहे विधानसभा चुनाव की सियासी तपिश बढ़ गई है. बीजेपी अपने पिछले रिकॉर्ड को दोहराने की कवायद में जुटी है तो विपक्षी दल सत्ता में वापसी के लिए हाथ पैर मार रहे हैं. 2022 की चुनावी शह-मात के बीच समाजवादी पार्टी की बुनियाद रखने वाले मुलायम सिंह यादव के सहारे अखिलेश यादव और शिवपाल यादव अपने-अपने पक्ष में महालौ बनाने के लिए अलग-अलग रथ पर सवार हो रहे हैं. चाचा-भतीजे दोनों ही मुलायम सिंह की तस्वीर के साथ चुनावी रथ यात्रा पर सवार हो रहे हैं, देखना है कि सूबे में कौन मुलायम का असल सियासी वारिस बनकर उभरता है।

समाजवादी पार्टी से अलग होकर भी अपनी अलग प्रगतिशील समाजवादी पार्टी बना चुके शिवपाल यादव अभी अपने बड़े भाई मुलायम सिंह यादव से दूरी नहीं बना सके हैं। राजनीति में शिवपाल एकलव्य की तरह कदम बढ़ाते हुए बड़े भाई को गुरु द्रोणाचार्य मानकर परिवर्तन रथ में मुलायम की फोटो लगाकर अपने मिशन का आगाज कर रहे हैं। प्रदेश में दो बार क्रांति रथ निकाल चुके मुलायम सिंह यादव के पद चिह्नों पर चलते हुए शिवपाल यादव ने भी ‘सामाजिक परिवर्तन रथ यात्रा’ मथुरा में भगवान श्री कृष्ण के दर्शन और पूजा अर्चना करके शुरूआत की है।

शिवपाल यादव के रथ में मुलायम सिंह और जनेश्वर मिश्रा की तस्वीर ,जगदीश नोहवार ने मथुरा से थामा दामन

शिवपाल यादव रथ यात्रा बृज क्षेत्र मथुरा से होते हुए आगरा, इटावा, औरया, कानपुर देहात, झांसी, महोबा फतेहपुर होते हुए प्रयागराज जाएगी। इसके बाद आखिरी चरण 27 नवंबर को रायबरेली में खत्म होगी। शिवपाल यादव कह चुके हैं कि सपा के साथ समझौते का इंतजार खत्म हुआ और अब महाभारत होगा।

प्रदेश महासचिव अलका सिंह ने हमसे बात करते बोला कि 2022 के विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी की अहम भूमिका होगी।

बाइट – अलका सिंह प्रदेश महासचिव

सामाजिक परिवर्तन यात्रा एक तरह से धर्मयुद्ध है, जिसमें पांडवों ने पांच गांव मांगे थे। कौरव ने पांडवों को एक इंच जमीन देने से इंकार कर दिया था। एक तरह से साफ है कि शिवपाल अपनी सियासी जमीन खुद तैयार करने के लिए रणभूमि में उतर गए हैं।

तो उधर,दूसरी ओर समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव भी अपने पिता मुलायम सिंह से आशिर्वाद लेकर ‘समाजवादी विजय रथ यात्रा’ मंगलवार को कानपुर से शुरू कर रहे हैं, जो कानपुर और बुंदेलखंड के चार जिलों से होकर गुजरेगी। सपा के रथ पर मुलायम सिंह की बड़ी तस्वीर के साथ लगाई गई है। मुलायम सिंह के साथ-साथ अखिलेश ने आजम खान का भी फोटो लगाया है। यात्रा से एक दिन पहले पार्टी ने 17 सेकेंड का एक वीडियो जारी किया। जिसमें अखिलेश अपने पिता मुलायम सिंह यादव से बात करते और उनके पैर छूकर उनका आशीर्वाद लेते नजर आ रहे हैं।

अखिलेश यादव के रथ यात्रा में मुलायम सिंह यादव

सपा पर पूरी तरह काबिज होकर अखिलेश खुद को मुलायम के सियासी वारिस के तौर पर स्थापित करने में काफी हद तक सफल रहे हैं.लेकिन, इस बार का विधानसभा चुनाव अखिलेश यादव के साथ-साथ सपा के सियासी भविष्य को भी तय करने वाला है। 2017 में सत्ता गंवाने और 2019 में परंपरागत सीटें हार के बाद अखिलेश के सामने पिता की सियासी विरासत को बचाए रखने की चुनौती है।

2022 के सियासी चुनौतियों के बीच जब चाचा-भतीजे को एकजुट होकर चुनावी रण में उतरना चाहिए था, तब मुलायम के आंगन से दो रथ निकल रहे हैं। शिवपाल यादव और अखिलेश यादव अपने-अपने सियासी माहौल बनाने और राजनीतिक जमीन तलाशने के लिए रथ यात्रा पर निकल रहे हैं। ऐसे में भले ही दोनों एक दूसरे पर सियासी निशाना न साधे, लेकिन मुलायम के राजनीतिक आधार पर दोनों ही अपने-अपने साथ साधने की कवायद करते जरूर नजर आएंगे।

बता दें कि 2017 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले मुलायम परिवार में झगड़े के बाद अखिलेश यादव के सपा के साथ शिवपाल यादव ने अपना नाता तोड़ लिया था। शिवपाल ने प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के नाम से अपना नया ठिकाना ढूंढ लिया। पिछले लोकसभा चुनाव में उन्हें कोई ख़ास कामयाबी तो नहीं मिली, लेकिन कई सीटों पर उन्होंने अपने भतीजे अखिलेश के उम्मीदवारों का खेल ज़रूर ख़राब कर दिया था। ऐसे में माना जा रहा था कि चाचा-भतीजे में सियासी गठजोड़ हो सकता है, लेकिन अभी तक बात नहीं बनी।

2022 चुनाव में गठबंधन और चुनावी समझौते की तस्वीर क्या होगी अभी तय नहीं है, लेकिन अखिलेश और शिवपाल यादव रथयात्रा पर निकलने का फ़ैसला कर लिया है। ऐसे में अब चाचा-भतीजे दोनों ही सूबे में अपना-अपना सियासी माहौल बनाने के लिए उतर रहे हैं, देखना है कि कौन कितना सियासी असर दिखाता है।

प्रसपा पार्टि के वरिष्ठ आला नेताओं ने कहा कि पार्टी ने रथयात्रा पूर्णतः सफल होगी जनता और कार्यकर्ताओं का अपार स्नेह और आशीर्वाद उन्हें मिल रहा है। हर जिले में रथयात्रा के जरिए स्थानीय लोगों की समस्याएं सुनी जाएंगी। सुनी गई समस्याएं ओर बेरोजगारी, मंदी,मंहगाई ,किसान उत्पीड़न आदि मुद्दों को आधार बना कर पार्टी तकरीबन 400 से अधिक सीटों पर उम्मीदवार उतार कर चुनाव लड़ेगी ।

दावे बड़े बड़े ,जमीनी हकीकत कुछ और

जहां एक ओर प्रसपा के आला नेता बड़े बड़े दावों के साथ मंच ओर ग्राउंड जीरो पर दम भरते नजर आए तो वहीं शिवपाल के कार्यक्रम में स्वागत का कार्यक्रम 101 भ्रमणों द्वारा शंखनाद का रखा गया ,भ्रामण भी ख़ुशी ख़ुशी पहुचे किन्तु तकरीबन दो घण्टे बाद पंडितों ने कार्यक्रम का बहिष्कार करना शुरू कर दिया, उनका आरोप था कि उन्हें बुला तो लिया गया है किंतु उन्हें किसी ने पानी तक नही पूछा इतना ही नही मांगने पर भी पानी नही मिला । जिस से वहः रूठ कर मंच छोड़ कर नीचे आ गए हालांकि कड़ी मशक्कत के बाद प्रसपा नेताओं ने रूठे भ्रामणो को मना लिया।

उधर एक एम्बुलेंस शिवपाल के कार्यक्रम के चलते अस्पताल से 100 मीटर की दूरी पर फ़ंसी रही सरकारी एम्बुलेंस 108 । पूछने पर चालक ने ऑफ कैमरा बताया कि अस्पताल से ड्यूटी आ रही है उन्हें पेशेंट लेने जाना है सिर्फ एक वाउचर लेने के लिए उन्हें इस रूट पर आना पड़ा और वह जाम में फंसे हैं मरीज को नही ला पा रहे ।

इसी से अलग एक रिक्शा चालक शिवपाल से मिलने को तरसता रहा उसका कहना था कि सरकार ,सिस्टम और अधिकारी उसकी समस्या नही सुन रहे हैं….’मुझे शिवपाल या उनके पुत्र से मिलवा दो ‘ पूछने पर बताया की सरकारी डूडा आवास आबंटन की धान्दली से त्रस्त है उनके माकान का आबंटन नही हुआ उन्होंने आरोप लागाया की उनसे मोटी घूंस मांगी जा रही है जिसे दे पाने मे वह असमर्थ हैं, आगे कहा कि न उनके पास छत है न जमीन बीबी बच्चे भुखमरी से त्रस्त हैं यदि आज शिवपाल नही मीले तो आत्मदाह की भी धमकी किन्तु लाख प्रयास के बाद भी खबर लिखे जाने तक पीड़ित रिक्शा चालक मंच पर नही चढ़ सका न ही शिवपाल के समक्ष अपनी समस्या रख सका।

माथुरा से वरिष्ठ पत्रकार द्वारकेश बर्मन की रिपोर्ट

 

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the authorBRIJESH SINGH