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भवन निर्माण श्रमिकों का सहारा बनी सरकार, यूपी में साढ़े 4 साल में 73,61,327 भवन निर्माण श्रमिकों का किया गया पंजीयन

लखनऊ। भवन और अन्य सन्निर्माण कार्यों से जुड़े श्रमिकों के जीवन स्तर में सुधार लाने के लिए प्रतिबद्ध राज्य सरकार ने कई बड़े कदम उठाए हैं। उनको सरकार की योजनाओं से जोड़ने का बड़ा काम किया है। श्रमिकों के पंजीयन और नवीनीकरण में लिए जाने वाले शुल्क में छूट दी है। निर्माण कार्य की 40 प्रक्रियाओं में शामिल 73,61,327 श्रमिकों को 1 अप्रैल 2017 से 31 जुलाई 2021 तक पंजीकृत किया है।

सरकार ने ऐसे निर्माण स्थलों जिनपर 10 या इससे अधिक निर्माण श्रमिक काम कर रहे हैं का पंजीकरण भी अनिवार्य किया है। रिहायशी भवनों की स्थिति में 10 लाख रुपये से अधिक लागत के भवनों पर इसी तरह का प्रावधान लागू किया है। श्रमिकों को लाभ देने की योजनाओं में शामिल करने के लिए सरकार ने 1 अप्रैल 2017 से 31 जुलाई 2021 तक ऐसे 1,23,625 निर्माण स्थलों का पंजीयन भी करा लिया है। जिससे अधिक से अधिक श्रमिकों को योजनाओं का लाभ दिया जा सके। गौरतलब है कि सरकार श्रमिकों को मातृत्व, शिशु एवं बालिका मदद योजना प्रदान करने के साथ निर्माण कामगार मुत्यु, विकलांगता सहायता एवं अक्षमता पेंशन योजना का लाभ दे रही है।

सरकार ने श्रमिकों के मेधावी बच्चों को पढ़ाने के लिए मेधावी छात्र पुरस्कार योजना चलाई है और संत रविदास शिक्षा सहायता योजना भी संचालित की है। श्रमिकों की कन्याओं के विवाह के लिए कन्या विवाह सहायता योजना भी बड़ा सहारा बनी है। श्रमिकों के परिवार को सुरक्षित और सुलभ जीवन यापन के लिए लगातार विभिन्न प्रयास करती चली आ रही है। सरकार का उद्देश्य समाज में अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति तक कल्याणकारी योजनाओं का लाभ पहुंचाना है।

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BRIJESH SINGH
the authorBRIJESH SINGH