खजुराहो| खजुराहो मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले में स्थित है। कभी यह स्थान खजूर के जंगल के लिए जाना जाता था। यही कारण है कि इसका नाम खजुराहो पड़। लेकिन खजुराहो आज खजूर के वन नहीं बल्कि कामुक मूर्तियों से सजी मंदिरों के लिए जाना जाता है।खजुराहो मंदिर की मूर्तियों के बारे में भारतीय जनमानस में हमेशा से एक अलग ही विचारधारा रही है। लेकिन सच्चाई उससे कहीं अलग है जो वामपंथी इतिहासकारों के कारण सामने नहीं आई है।आधुनिक भारत में सेक्स को निकृष्ट दृष्टि से देखा जाता है। सेक्स, करते सब हैं पर भारतीय बात करने में ऐसे हिचकिचाते हैं, जैसे यह कोई प्राकृतिक प्रक्रिया न होकर कोई बीमारी हो। यहां कामुख क्रिया की तस्वीरें कई बार श्रद्घालुओं और दर्शनार्थियों को आश्चर्य में डाल देती हैं। खजुराहो मंदिर पर कई कथाएं मशहूर है जिनसे यह भेद खुलता है कि आखिर क्यों मंदिर की दीवारों पर कामुक मूर्तियां बनाई गयी। खजुराहो मंदिर में कमुख मूर्तियों के पीछे का कारण एक ब्राह्मण कन्या मानी जाती है जिसका नाम हेमावती था, वह बेहद सुन्दर थी। एक बार वह वन में स्थित सरोवर में स्नान कर रही थी, उस वक़्त चन्द्रमा की नज़र हेमावती पर पड़ी जिसके बाद चन्द्रमा उनपर मुग्ध हो गया।
चन्द्रमा ने उसे वशीभूत कर उससे संबंध बना लिए। जिसके बाद हेमावती ने संतान को जन्म दिया। लेकिन चन्द्रमा और हेमावती के संबंध से जन्मे बालक को समाज ने अपनाने से इंकार कर दिया। बालक का नाम चन्द्रवर्मन रखा गया। बड़ा होकर चन्द्रवर्मन ने अपना राज्य कायम किया। हेमावती ने चन्द्रवर्मन को ऐसे मन्दिर बनाने के लिए प्रेरित किया जिससे मनुष्य के अन्दर दबी हुई कामनाओं का खोखलापन दिखाई दे। जब वह मन्दिर में प्रवेश करे तो इन बुराइयों का छोड चुके हो। खजुराहों के संबंध में एक जनश्रुति यह भी है कि उस समय बच्चे गुरुकुल में पढ़ते थे। इसलिए उन्हें सांसारिक बातों का ज्ञान कराने के लिए इन मंदिरों का निर्माण कराया गया।