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मां को दीजिए मदर्स डे पर सेहतमंद जीवन

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नई दिल्ली। महिलाएं अपने जीवन में अनेक भूमिकाएं अदा करती हैं, जैसे कामकाजी महिला, मां, पत्नी, बेटी और बहन। ये सभी भूमिकाएं निभाते हुए वे अपनी सेहत नजरअंदाज कर देती हैं। 18 साल की उम्र के बाद प्रत्येक महिला को सेहतमंद और रोगमुक्त रहने के लिए नियमित रूप से स्वास्थ्य जांच करवानी चाहिए। मदर्स डे पर हर बेटी को अपनी मां को स्वस्थ्य जांच उपहार में देनी चाहिए और उन्हें अपनी सेहत का ध्यान रखने के बारे में जानकारी देनी चाहिए और जो ख्याल व संभाल उन्हें मिलनी चाहिए वह देनी चाहिए।

हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया के प्रेसिडेंट डॉ. के.के. अग्रवाल ने बताया कि नियमित स्वास्थ्य जांच महिलाओं और मांओं के लिए बेहद जरूरी है, जो अक्सर अपना ख्याल रखना भूल जाती हैं। उन्होंने कहा कि महिलाओं का शरीर हमेशा विकसित होता रहता है और खास कर बच्चे को जन्म देने के बाद हर्मोनल बदलाव की वजह से उन्हें बीमारी होने की संभावना होती है।

डॉ. अग्रवाल ने कहा कि देश में गर्भधारण के दौरान मौतों की संख्या काफी बढ़ गई है और गर्भधारण के बाद तनाव भी बढ़ रहा है। इसलिए 30 साल की उम्र के बाद हर महिला को बचाव के लिए स्वास्थ्य जांच और उनकी सेहत की संभाल के लिए परिवार कैसे मदद कर सकता है, इस बारे में जागरूक करना चाहिए। गायनी जांच 30 साल की उम्र के बाद महिलाओं को अपना सम्पूर्ण गायनी चेकअप, जिसमें मेन्युल पेल्विक चेकअप और स्तन जांच के साथ पैप स्मियर की जांच करवानी चाहिए। यह हर साल करवानी चाहिए।

हार्ट चेकअप : महिलाओं को तीसवें के बाद संपूर्ण हार्ट चेकअप जिसमें ब्लड प्रेशर, एलडीएल और एचडीएली कोलेस्ट्रॉल की जांच शामिल है, करवानी चाहिए। जिनके परिवार में पहले से दिल के रोग रहे हैं उन्हें अतिरिक्त जांच करवाने के लिए कहा जा सकता है। जिनका ब्लड प्रेशर सामान्य है, उन्हें इसकी जांच हर दो साल बाद करवानी चाहिए। कोलेस्ट्रॉल सामान्य हो तो हर पांच साल बाद जांच करवानी चाहिए।

थायरॉयड : अनडायरेक्टिक थॉयरायड, जिसकी जांच ब्लड टेस्ट से होती है, वजन बढ़ने की वजह बन सकता है। जबकि ओवरएक्टिव थॉयरायड ऑटोएम्यून रोग का संकेत दे सकता है। सभी महिलाओं को 35 साल की उम्र में थायरॉड की जांच करवानी चाहिए। अगर मूड, वजन, सोने की आदत और कोलेस्ट्रॉल में छोटी उम्र में अवांछित बदलाव आने लगे तो यह टेस्ट जल्दी करवाना चाहिए।

डायबिटीज टेस्ट : 40 साल उम्र के बाद महिलाओं को डायबिटीज का टेस्ट करवाना चाहिए। 45 साल की उम्र के बाद यह हर तीन साल बाद करवाना चाहिए। अगर महिलाओं का वजन ज्यादा हो या ब्लड प्रेशर या कोलेस्ट्रॉल ज्यादा हो या धूम्रपान करती हों या पहले परिवार में किसी को डायबिटीज रहा हो तो उन्हें इस बारे में अपने डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। अगर प्री-डायबिटिक हो तो हर साल या दो साल के बाद जांच करवानी चाहिए।

विटामिन डी टेस्ट : विटामिन डी हड्डियों की सुरक्षा करता है। यह डायबिटीज, दिल के रोगों और कुछ कैंसर से बचाता है और शरीर की रोगों से लड़ने की क्षमता को बढ़ाता है। यह पोषण आम तौर पर धूप सेंकने और फोर्टिफाइड डेयरी उत्पादों से मिलता है। आजकल महिलाएं धूप से दूर रहती हैं, क्योंकि वह सूर्य की हानिकारक किरणों और रंग काला होने से बचती हैं। 80 से 90 प्रतिशत भारतीय विटामिन डी की कमी से पीड़ित हैं, क्योंकि जेनेटिक तौर पर और मूल रूप से शाकाहारी होने की वजह से भी वह इस कमी से पीड़ित होते हैं। ऐसे हालत में सप्लीमेनटेशन आवश्यक है।

बोन डेनसिटी टेस्ट : 50 साल से ज्यादा उम्र की महिलाओं को बोन डेनसिटी टेस्ट करवा कर हड्डियों में कैल्शियम और मिनरल की जांच करवानी चाहिए। मीनोपॉज की वजह से होने वाले हार्मोनल बदलाव के कारण औरतें ओस्टिोपोरोसिस और ओस्टियो आर्थराइटिस की शिकार हो जाती हैं। डॉ. अग्रवाल के अनुसार, हड्डियों को मजबूत रखने के लिए, नियमित एरोबिक व्यायाम, सेहतमंद व संतुलित आहार और आवश्यक धूप सेंकना बेहद जरूरी होता है।

 

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