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पहले से तय थी कल्पना चावला की मौत, NASA को भी थी इसकी जानकारी

 

मुंबई। कुछ लोगों को लगता है कि लड़कियां घर का काम करते हुए ही अच्छी लगती है। किचन में अच्छी लगती है। उनका काम खाना बनाने तक ही सीमित है लेकिन इन सब बातों धता बताने वाली एक लड़की दुनिया में थी जिसका नामा है कल्पना चावला। कल्पना चावला को कौन नहीं जनता है? वो भले आज इस दुनिया में नहीं है, लेकिन आज भी वो लोगों के दिलों में जिन्दा है। आज हम कल्पना से जुड़ी नासा की बात करेगें।

अंतरिक्ष की परी कही जाने वाली कल्पना चावला देश का गर्व हैं जिसने अंतरिक्ष तक भारत का झंडा फहराया। अक्सर कल्पना कहा करती थीं कि मैं अंतरिक्ष के लिए ही बनीं हूं, हर पल अंतरिक्ष के लिए बिताया और इसी के लिए मरूंगी। यह बात उनकी तब सच साबित हुई जब वो दूसरी अंतरिक्ष यात्रा कर रही थीं। जहां से लौटते समय वह एक हादसे का शिकार हो गईं। 1 फरवरी 2003 को अंतरिक्ष से कल्पना कभी वापस नहीं आईं।

क्या आप जानते है कि जिस हादसे में कल्पना सहित 6 अन्य अंतरिक्ष यात्रियों की मौत हुई थी, वह हादसा होने से बहुत पहले ही नासा को पता चल चुका था। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, कोलंबिया स्पेस शटल के उड़ान भरते ही पता चल गया था कि ये सुरक्षित जमीन पर नहीं उतरेगा, तय हो गया था कि सातों अंतरिक्ष यात्री मौत के मुंह में ही समाएंगे। फिर भी उन्हें इसकी जानकारी नहीं दी गई। बात हैरान करने वाली है, लेकिन यही सच है।

दरअसल, नासा ने एक गोपनीय फरमान जारी करके इस बात को गुप्त ही रखा, ताकि उन अंतरिक्ष यात्रियों में इस बात को लेकर डर का माहौल न पैदा हो जाए। क्योंकि नासा के अनुसार अगर उन्हें पता चल जाता कि उनका यान हादसे का शिकार होने वाला है तो वे मिशन पर पूरा ध्यान नहीं दे पाते।

नासा के अनुसार, उन्हें पता नहीं होने के कारण ही वो सब जी जान से अपने मिशन में जुटे रहे। साथ ही पल-पल की जानकारी नासा को भेजते रहे। लेकिन नासा ने उन्हें पता तक नहीं लगने दिया कि वो अब धरती पर कभी लौटकर वापिस नहीं आ पाएंगे।

सबसे बड़ा सवाल यहां पर यही उठता है कि आखिर नासा ने ऐसा क्यों किया? क्यों उसने अंतरिक्ष यात्रियों और उनके परिवार वालों से यह अहम जानकारी छुपाई थी? नासा के अधिकारी नहीं चाहते थे कि मिशन पर गये अंतरिक्ष यात्री अपनी जिंदगी के आखिरी लम्हों को डर के साये में जिएं। उनकी बेहतरी के लिये ही नासा ने यह जानकारी राज़ रखी थी।

कल्पना के पिता बताते है कि वह कभी आलस नहीं करती थी। असफलता से घबराना उसके खून में नहीं था। वह जो ठान लेती उसे हर हाल में पूरा करके ही छोड़ती थी। आज कल्पना भले ही हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन वह एक मिसाल के रूप में हमेशा के लिए हम सब के दिलों में ज़िंदा है।

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BRIJESH SINGH
the authorBRIJESH SINGH