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मशीन लर्निग से होगा युवाओं का कौशल विकास : यूथ4वर्क

रोजगार प्राप्त करने के लिए मशीन लर्निग उचित मार्ग बन सकता है, परन्तु मशीन लर्निग की सुविधा के लिए डेटा महत्वपूर्ण कुंजी है। आमतौर पर मशीन लर्निग को एआई और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के समाना समझा जाता है लेकिन मशीन लर्निग इन दोनों की तुलना में एक अलग प्रक्रिया है। सच्चाई यह है कि मशीन लर्निग और एआई दो अलग-अलग विषय हैं। सरल शब्दों में कहा जाए तो एआई का लक्ष्य उन क्षमताओं को विकसित करना है जो मानव कार्यो की नकल करने के लिए मशीनों को योग्य बनाना है जिससे वे बेहतर हो सकें। जबकि मशीन लर्निग एआई की विशाल अवधारणा का एक हिस्सा है।

मशीन लर्निग शब्द का इस्तेमाल 1959 में आर्थर शमूएल ने किया था। मशीन लर्निग क्या है और यह कैसे काम करता है इस बारे में जानकारी प्राप्त करना और इसे समझना बहुत से लोगों के लिए आसान नहीं है।

मशीन लर्निग का सबसे महत्वपूर्ण पहलू डेटा है जिसके बिना मशीन लर्निग संभव नहीं है। डेटा को मशीन लर्निग की रीढ़ माना जा सकता है। मशीन लर्निग एआई के अंदर आने वाली एक एप्लीकेशन है जो कंप्यूटर सीखने की क्षमता और बिना प्रोग्राम के अपने अनुभव को सुधारने की क्षमता प्रदान करता है। मशीनों द्वारा डेटा का उपयोग पैटर्न बनाने के लिए किया जाता है जो उसे समझने में मदद करते है। डेटा तब तक बेकार है जब तक इसका अर्थ सार्थक तरीकों से नहीं किया जाता है मशीनें गणितीय एल्गोरिदम और ब्लॉक चेन का उपयोग कर डेटा के साथ अनावश्यक कार्यो को कर सकती हैं।

भारतीय मशीन लर्निग से स्टार्टअप की संख्या बढ़ रही है। हर महीने औसतन 10 से 15 नए तकनीक स्टार्टअप देखे जा रहे हैं जो एक-दूसरे से बेहतर होने का दावा करते हैं, लेकिन नए तकनीक स्टार्टअप की सफलता को केवल प्रगतिशील एआई उपकरणों और एप्लिकेशन के माध्यम से सुनिश्चित नहीं किया जा सकता है। इसके लिए डेटा आवश्यक है और विश्वसनीय डेटा प्राप्त करने में समय लगता है और कैम्ब्रिज विश्लेषणात्मकता के विपरीत सही नैतिक नियमों के साथ प्रयोग किया जाना चाहिए।

गूगल, अमेजॅन और फेसबुक जैसे दिग्गजों को डेटा संग्रह करने में सालों लगे हैं और उनके डेटा का उपयोग कई अन्य उभरते तकनीकी उद्यमों द्वारा किया जा रहा है जो जल्दी से जल्दी सफलता प्राप्त करने की तलाश में हैं। ऐसे उद्योग लंबे समय तक नहीं टिकते हैं क्योंकि मशीन लर्निग केवल तभी फायदेमंद साबित होती है जब अंतिम परिणाम व्यावहारिक रुप से सबसे अलग हो जिसे प्रमाणिक डेटा के उपयोग के माध्यम से सुनिश्चित किया जा सकता है।

मशीन लर्निग के दायरे को अनदेखा नहीं किया जा सकता है, खासकर शिक्षा और रोजगार भर्ती प्रक्रियाओं के क्षेत्र में। हाल के दिनों में कुछ ऐसे स्टार्टअप उद्योगों के बारे में जानकारी प्राप्त हुई है जो वर्षो से युवाओं को आवश्यक नौकरी, विशिष्ट कौशल प्रदान करने में और वर्तमान समय में अस्थिर नौकरी बाजार में वृद्धि बनाए रखने में मदद कर रहे हैं।

इन स्टार्टअप उद्योगों के बीच में यूथ4वर्क तकनीक मूल्यांकन और ऑनलाइन कौशल टेस्ट के रूप में उभर कर सामने आया है। वर्तमान समय में इसके साथ भारत के लगभग 30 लाख से अधिक उपयोगकर्ता जुड़े हुए हैं। यह मंच हर दिन हजारों टेस्ट देने वाले युवाओं का मूल्यांकन करने के लिए एआई के डोमेन के भीतर मशीन लर्निग तकनीकों का उपयोग करता है और वाईटल रिपोर्ट्स के माध्यम से विस्तृत कॉपोर्रेट मूल्यांकन प्रदान करता है जो एक पेटेंट तंत्र है जिस पर यूथ4वर्क चार साल से अधिक वर्षो से काम कर रहा है।

हाल ही में यूथ4वर्क के एक सर्वेक्षण के अनुसार भारत के 35 फीसदी से अधिक युवा बेरोजगार हैं, जो विश्व के रोजगार स्तर से बहुत कम है। इस सर्वेक्षण की रिपोर्ट की माने तो 2018-19 में बेरोजगारी के क्षेत्र में मामूली ठहराव देखने को मिला है। अगर वर्तमान में देखें तो लगभग 1.79 करोड़ युवा बेरोजगार हैं जो 2019 में लगभग 1.9 करोड़ होने की संभावना है।

भारत में एक बहुत बड़ा हिस्सा युवा वर्ग का है जिनमें से बहुत से युवाओं के पास यूथ4वर्क जैसे मंच की सुविधाएं प्राप्त करने के लिए उचित साधन उपलब्ध नहीं है। यूथ4वर्क का लक्ष्य है कि 2022 तक लगभग 5.0 करोड़ उपयोगकर्ताओं को अपने साथ जोड़ सकें।

(रचित जैन यूथ4वर्क के सीईओ हैं।)

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