नई दिल्ली। आज हम आप लोगो से बात कर रहे हैं देश की सबसे बड़ी समस्या किसानों की समस्या को लेकर। जिससे हर एक किसान जूझ रहा हैं। इसी वजह से बहुत से किसान आत्महत्या कर हैं। भारत जो कृषि प्रधान देश कहा जाता है और आज उसी कृषि प्रधान देश में कुछ किसान अपनी आर्थिक स्थित के कारण आत्महत्या कर रहे हैं तो कहीं इच्छा मृत्यु की मांग कर रहे है। कितने शर्म की बात है कि गुजरात के भावनगर ज़िले में करीब 5,000 से ज़्यादा किसानों ने इच्छामृत्यु की मांग की थी।
आपको बता दे कि किसान आज से ही नही मर रहा है, ये तो अंग्रेजो के समय से मर रहा है जब 1600 में अंग्रेज हमारे देश आये तब उन लोगो ने किसानो को बहुत प्रताड़ित किया और उनसे जबरदस्ती खेती करवाई। लेकिन आज तो हम लोग आजाद है तो फिर आज क्यों किसान मर रहा हैं ?
आपको बता दे कि जब भाजपा की सरकार आई तो उसके आने का एक कारण यह भी था कि मोदी ने किसान कर्ज माफ़ी का वादा किया था। उन्होंने कहा था कि हम किसानों का कर्ज माफ़ करेंगे, लेकिन जब सरकार बन गई तब कर्ज माफ़ी में उन्होंने एक शर्त रखते हुए कहा कि जिन किसानों का कर्ज एक लाख तक का हैं केवल उन्ही किसानों का कर्ज माफ़ किया जाएगा।
आपको बता दे कि आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कृषि क्षेत्र में अपनी सरकार की अभूतपूर्व उपलब्धियों का ब्यौरा देते हुए मोदी ने कहा कि जब उन्होंने खेती से जुड़े लोगों की आय दोगुनी करने की बात की तो कुछ लोगों ने उसका मजाक उड़ाया लेकिन उन्हें किसानों पर पूरा भरोसा है। आज मोदी वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए कृषि क्षेत्र की समस्याओं को लेकर किसानों से बात कर रहे थे।
मोदी ने जनता से सीधी बातचीत के तहत उन्होंने 600 जिलों के किसानों की बात सुनी और अपनी बात बताई।
2022 तक किसानों की आय दोगुनी
नरेंद्र मोदी किसानो उन्होंने आय दोगुनी को लेकर कहा कि- 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के लिए कृषि क्षेत्र का बजट 2.12 लाख करोड़ कर दिया गया।
किसानों का कर्ज माफ़ी
लेकिन आपको बता दे धन का बंदोबस्त नहीं होने से शिविरों की रफ्तार बेहद धीमी है। हालात यह है कि पहले चरण की समयावधि 20 जून को खत्म हो रही हैं। लेकिन लक्ष्य के मुकाबले बेहद कम राशि का कर्ज माफ हो पाया है।
योजना के तहत सहकारिता विभाग को 20 जून तक दो हजार करोड़ रुपए का कर्ज माफ करना था। लेकिन अब तक महज 319.14 करोड़ रुपये का ही फसली ऋण माफ हुआ है। एक लाख 8 हजार 315 किसानों का महज 319.14 करोड़ रुपये का ही फसली ऋण हुआ माफ हो सका है। कर्ज माफी के लिए आठ हजार करोड़ रुपए का बंदोबस्त करने में सरकार के पसीने छूट रहे हैं।
अब आप इस बात से अंदाजा लगा सकते हैं की क्या इस तरह के वादों से किसानो की समस्या ख़त्म हो जाएगी ?