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‘लिंचिंग देश में अराजकता फैलाने की साजिश’

नई दिल्ली, 29 जुलाई (आईएएनएस)| लिंचिंग का इस्तेमाल आज एक हथियार के रूप में होने लगा है जिसमें लोग अपनी नस्ल या सर्वोच्चता को बनाए रखने के लिए इसे सबसे आसान उपाय समझते हैं।

लिंचिंग देश में अराजकता फैलाने की साजिश है। सामाजिक कार्यकर्ताओं ने एक परिचर्चा के दौरान यह बात कही।

पूर्वी दिल्ली के लक्ष्मीनगर स्थित ब्रिटिश लिंग्वा संस्थान में ‘देश में बढ़ रही लिंचिंग की घटानाएं चिंता का विषय’ पर रविवार को आयोजित परिचर्चा में जाने माने लेखक एवं ब्रिटिश लिंग्वा के प्रबंध निदेशक डॉ. बीरबल झा ने कहा कि किसी भी सभ्य समाज में लिंचिंग अमानवीय घटना है।

लिंचिंग शब्द की उत्पत्ति पर प्रकाश डालते हुए डॉ. झा ने कहा कि अमेरिका के वर्जिनिया में पैदा हुए कैप्टन विलियम लिंच ने अपने आप को सामाजिक सरोकार की बातों को लेकर खुद को जज घोषित कर दिया था। बगैर किसी मान्यता का उनका फैसला होता था और आरोपी को बिना किसी सुनवाई के सरेआम फांसी पर लटका दिया जाता था। विलियम लिंच की बहकी विचारधारा को आज कोई भी सभ्य समाज स्वीकार नहीं कर सकता है।

उन्होंने कहा कि लिंचिंग का इस्तेमाल आज एक हथियार के रूप में होने लगा है जिसमें लोग अपनी नस्ल या सर्वोच्चता को बनाए रखने के लिए इसे एक सबसे आसान उपाय समझते हैं।

डॉ. झा ने कहा कि लिंचिंग की सबसे अधिक घटनाएं अमेरिका में हुई थी और इस घटना की सबसे अधिक शिकार अफ्रीकी मूल के लोग हुए थे। उन्होंने कहा कि भारत एक सभ्य समाज एवं प्रजातांत्रिक देश है। यहां पर कानून का राज है। किसी को भी असामाजिक तत्वों के बहकावे में आकर लिंचिंग की वारदात में शामिल नहीं होना चाहिए।

डॉ. झा ने सरकार से मांग की है कि इस तरह की वारदात को रोकने के लिए सरकार शीघ्र कानून बनाए।

सामाजिक कार्यकर्ता सुधीर झा ने कहा कि संविधान में सबको जीने का अधिकार मिला है और सही व गलत का फैसला करने का अधिकार न्यायालय के पास है न कि लोगों के एक समूह के पास। उन्होंने कहा कि ऐसे में एक संपूर्ण कानून बेहद लाभकारी हो सकता है।

परिचर्चा में भाग लेते हुए कई छात्र-छात्राओं ने भी अपने विचार व्यक्त किए। कुछ छात्रों का तर्क था कि देश में लचर कानून व्यवस्था और न्याय मिलने में हो रही देरी से लिंचिंग जैसी घटनाएं बढ़ रही हैं। लिंचिंग देश में अराजकता फैलाने की साजिश है।

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा चिंता जताए जाने के बाद केंद्र सरकार ने मॉब लिंचिंग मामलों को लेकर गृह सचिव की अध्यक्षता में चार सदस्यीय उच्चस्तरीय समिति का गठन किया है। इसके अलावा गृह मंत्री की अध्यक्षता में एक विशेष मंत्रिसमूह का भी गठन किया गया है जो इस संबंध में अपनी सिफारिशें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सौंपेगा।

राजनाथ सिंह ने भी कहा है कि सरकार लिंचिंग (भीड़ द्वारा हमला या हत्या) की घटनाओं को रोकने के लिए गंभीर है और जरूरत हुई तो इसे रोकने के लिए कानून बनाया जाएगा।

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