लखनऊ: उत्तर प्रदेश की योगी सरकार और मोदी सरकार की आपस में तालमेल नहीं बैठ रही है। इसका प्रमाण एक रिपोर्ट से समझ आता है।
बता दें, एक रिपोर्ट के अनुसार वर्तमान में शहरी बेघरों की तुलना में उनके लिए बनाये गए आश्रय स्थलों की संख्या में जमीन आसमान का अंतर है। लगभग 10 प्रतिशत लोगों के लिए ही आश्रय स्थल बन पाए है शेष 90 प्रतिशत लोग अभी भी खुले आसमान के नीचे सोने पर मजबूर हैं।
स्वच्छता सर्वेक्षण सहित कई अन्य केंद्रीय योजनाओं में पिछड़ने के बाद अब शहरी बेघरों के लिए आश्रय ग्रहों के निर्माण में भी प्रदेश का परफारमेंस बेहद खराब पाया गया है। इस बात का खुलासा सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित जांच समिति की रिपोर्ट में किया गया है। रिपोर्ट में बताया गया है कि वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार लाभार्थियों के मद्देनजर जितने शेल्टर होम बनाने चाहिए थे उतने बनाएंगे नहीं गए।
इस रिपोर्ट में प्रदेश को खराब प्रदर्शन करने के आधार पर पुअर परफॉर्मेंस स्टेट करार दिया गया है। जो शेल्टर होम कार्य कर रेह है उनमे महिलाओं के लिए बने शेल्टर होम की असलियत देवरिया और हरदोई सहित कई जिलों में खुलकर सामने आ चुकी है।
इन शेल्टर होम्स में बच्चियों और महिलाओं के यौन शोषण के मामले सामने आने पर देश में चारों तरफ प्रदेश की बदनामी हो रही है।
शेल्टर होम के निर्माण के लिए जमीन की अनुपलब्धता, जमीन की ऊंची कीमत, बेघरों की सही संख्या की सही जानकारी का होना , आश्रयों का गलत प्रबंधन, केंद्र सरकार द्वारा दी गई राशि का सही से उपयोग न होना तथा स्थानीय निकायों और अन्य संबद्ध एजेंसियों के बीच आपसी तालमेल का अभाव शामिल हैं।