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जीएसटी नोटिस से आजादी : मिसमैच से कैसे बचा जाए

मुम्बई, 20 अगस्त (आईएएनएस)| पिछले कुछ महीनों में, देशभर में कई व्यावसायों को सरकार से जीएसटी नोटिस मिली है। यदि रिपोर्ट पर यकीन किया जाए तो जीएसटी मिसमैच या जीएसटी के कम भुगतान के लगभग 34 प्रतिशत मामले सामने आए हैं। इससे 34,400 करोड़ रुपए का जबर्दस्त घाटा हुआ है। करदाताओं और कंपनियों दोनों को जुलाई से दिसंबर 2017 के बीच दाखिल किए गए समस्त जीएसटी रिटर्न के रिस्पांस में यह नोटिस मिली है।

मिसमैच के दो प्रमुख कारण हैं। सबसे पहले, जीएसटीआर-3बी फॉर्म में रिटर्न का सारांश भरने और जीएसटीआर-1 में सभी बाहरी आपूर्तियों की इनवॉइस-के अनुसार विस्तृत विवरण भरने के दौरान, स्वघोषित जीएसटी लाएबिलिटी और उपलब्ध इनपुट टैक्स क्रेडिट वैल्यू के बीच अंतर देखने को मिले।

दूसरा, कई ऐसे मामले थे जिनमें जीएसटीआर 3-बी और जीएसटीआर-2ए यानी किसी की सप्लायर से की गई खरीदारी के विवरण में भरे गये आंकड़ों में अंतर देखा गया। दूसरा मामला सरकार के लिए ज्यादा महत्वपूर्ण है, क्योंकि टैक्स के खिलाफ कोई भी गलत इनपुट टैक्स क्रेडिट आवंटन वास्तव में सप्लायर द्वारा चुकाया जाता है, जिससे राजस्व में नुकसान होता है।

इन नोटिसों के सामने आने के बाद यह अनुमान लगाया जा सकता है कि कर विभाग का गैर-अनुपालन को लेकर पहले दिखाया गया नरम ष्टिकोण जीएसटी युग में समाप्त होने जा रहा है। सरकार वाकई में अपना काम सख्ती से करने जा रही है, इसके द्वारा उन सभी व्यावसायों को 30 दिन का समय दिया गया है, जिन्हें नोटिस मिला था।

नोटिस जारी होने पर, यदि तय तारीख तक कोई स्पष्टीकरण नहीं मिलता है, तो माना जायेगा कि उक्त व्यक्ति/बिजनेस के पास देने के लिए कोई स्पष्टीकरण नहीं है और बिजनेस के खिलाफ उचित कार्रवाई की जायेगी। जीएसटी की सख्त प्रक्रियाओं को भी नहीं भूलना चाहिये जिसमें गलत ढंग से क्लेम किये गये आइटीसी पर 18 प्रतिशत ब्याज लगाया गया है, इससे कर चोरी या प्रणालियों में हेरफेर करने को हतोत्साहित किया जाता है।

ऐसी परिस्थितियों में, एक बिजनेस इन मिसमैचेज से कैसे आजादी पा सकता है, और उसे इस तरह के नोटिस से आजादी मिल सकती है? सबसे पहली चीज है कि जीएसटी कॉम्प्लाएंट सप्लायर्स के उचित समूह के साथ काम करें। ऐसा करने से सुनिश्चित होगा किसी भी समय बिजनेस द्वारा अपलोड की गई खरीदारी की जानकारी और इसके सप्लायर्स द्वारा अपलोड किये गये डेटा के बीच कोई मिसमैच नहीं होगा, इस तरह आइटीसी की अलग-अलग गणनाओं की संभावना दूर होगी। दूसरे शब्दों में कहें तो यह जीएसटीआर-3बी और जीएसटीआर-2ए की अनुरूपता को सुनिश्चित करने में लंबा सफर तय करेगा।

बिजनेस के लिए एक और बात महत्वपूर्ण है जीएसटीआर-3बी के फॉर्म में भरे जाने वाले समरी रिटर्न्स और जीएसटीआर-1 के फॉर्म में फाइनल रिटर्न भरने के दौरान भरे गये डेटा पर करीब से नजर रखना। इसमें बिजनेस द्वारा अनुपालन पर बहुत ध्यान दिया जाना चाहिये जोकि अकाउंट्स बुक एवं ट्रांजैक्शन रिकॉर्ड बरकरार रखने के व्यवस्थित तरीके को अपनाकर ही संभव हो सकता है। यह भी समझने वाली बात है कि जो बिजनेस अभी भी मैनुअल रिकॉर्ड रखते हैं अथवा जिनके पास स्प्रेडशीट्स पर बिजनेस रिकॉर्ड मेंटेन हैं, उन्हें इतने कम समय में इन नोटिसों का जवाब देने और जरूरी संशोधन करने में कठिनाई हो सकती है।

हालांकि, एक बात प्रेरणा देती है कि वास्तविक रिटर्न फाइलिंग मॉडल के साथ जिसने जीएसटीआर-1 और जीएसटीकार-3बी के साथ कंडेंस्ड मॉडल का रास्ता साफ किया है, सरकार देशभर में निष्पक्ष अनुपालन लागू करने में सक्षम है। सरलीकृत रिटर्न फाइलिंग मॉडल दरवाजे पर दस्तक दे रहा है, ऐसे में व्यावसायों के लिए सही तकनीक अपनाने का बिल्कुल उचित समय है, इस तरह वे इन नोटिसों, मिसमैच और फाइलिंग अवधि के अंत में झंझट से आजादी पाने का आनंद उठा सकते हैं।

(तेजस गोयनका टैली शॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड के कार्यकारी निदेशक हैं)

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