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रक्षाबंधन की पौराणिक कथा, पहली बार पत्नी ने अपने पति की कलाई पर बांधा था रक्षासूत्र

हर साल की तरह इस साल भी रक्षाबंधन का त्योहार नजदीक आ गया है। बाजारों में रौनक बढ़ गई है। मिठाइयों की दुकानें सज गई है। बहन अपने भाई को खुश करने के लिए नए नए तरीके सोच रही है। भाई अपनी बहन को गिफ्ट देने के लिए बाजारों से गिफ्ट लेने की सोच रहे है। यह त्योहार भाई बहन के अटूट रिश्ते को दर्शाता है। इस त्यौहार का प्रचलन सदियों पुराना बताया जाता है। पौराणिक मान्‍यताओं के अनुसार रक्षाबंधन मनाने के पीछे कई कथाएं प्रचलित हैं।

रक्षाबंधन

क्या है कहानी?

पौराणिक कथा की माने तो एक बार दानवों ने देवताओं पर आक्रमण कर दिया। देवताओं की सेना दानवों से हारने लगी। तब देवताओं के राजा इंद्र की पत्नी देवताओं की हो रही हार से बहुत डर गयी और इंद्र के प्राणों की रक्षा के उपाय सोचने लगी।

रक्षाबंधन

काफी सोचने के बाद इन्द्र की अर्धांगिनी शचि ने तप करना शुरू किया। जिसके पश्चात उन्हें रक्षासूत्र प्राप्त हुआ। शचि ने इस रक्षासूत्र को देवराज इंद्र की कलाई पर बांध दिया।

रक्षाबंधन

जिसके बाद देवताओं की शक्ति बढ़ गयी और दानवों पर विजय पाने में सफल हुए। श्रावण पूर्णिमा के दिन शचि ने इंद्र को रक्षासूत्र बांधा था। इसलिए इस दिन से रक्षा बंधन का त्योहार मनाया जाने लगा।

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