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क्या है दिवाली के दिन लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि, जाने यहां

हिन्दू त्योहारों में सभी को दिवाली का सबसे ज्यादा इंतजार रहता है। इस बार दिवाली 7 नवंबर को मनाई जा रही है। दिवाली का सेलीब्रेशन करीब 5 दिनों तक चलता है। धनतेरस से शुरू होकर भइया दूज पर जाकर यह पर्व समाप्त होता है। कार्तिक मास की अमावस्या को दिवाली का त्योहार मनाया जाता है। दीपावली को दीपों का पर्व कहा जाता है। प्रकाश का पर्व कहा जाता है। इस दिन लोग अपने घर में, दुकानों में लक्ष्मी, गणेश और सरस्वती की पूजा करते हैं।

दीपावली लक्ष्मी पूजन

सबसे पहले मां लक्ष्मी और गणेशजी की प्रतिमाओं को चौकी पर रखें. ध्यान रखें कि उनका मुख पूर्व या पश्चिम दिशा की ओर हो और लक्ष्मी जी की प्रतिमा गणेशजी के दाहिनी तरफ हो। कलश को लक्ष्मी जी के पास चावलों पर रखें. नारियल को लाल वस्त्रों में लपेटकर उसे कलश के उपर रखें। इस कलश को वरुण का प्रतीक माना जाता है. घी का दीपक गणेश जी और तेल का दीपक लक्ष्मी जी के सम्मुख रखें।

लक्ष्मी-गणेश की प्रतिमाओं के समक्ष एक और चौकी रखें और उस पर लाल वस्त्र बिछा दें। उस लाल वस्त्र पर चावल से नवग्रह बनाएं। घर में पूजन करते समय नवग्रह ना रखें। रोली से स्वस्तिक एवं ॐ का चिन्ह बनाएं। पूजा करने के लिए उत्तर या पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठें। इसके बाद केवल प्रदोष काल में ही माता की पूजा करें। इस दिन माता की पूजा करने के बाद दीप दान भी करना चाहिए। लक्ष्मी पूजन के समय लक्ष्मी मंत्र ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्ये नमः का जाप करना चाहिए।

माता लक्ष्मी का पूजन प्रदोष काल में ही करना चाहिए और यह समय संध्याकाल के बाद आरंभ होगा. हालांकि स्थिर लग्न में मां लक्ष्मी की पूजा करना सर्वोत्तम माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि स्थिर लग्न में मां लक्ष्मी की पूजा करने से मां लक्ष्मी घर में वास करती हैं। द्रव्य लक्ष्मी का पूजन धनतेरस के दिन ही कुबेर के साथ की जानी चाहिए। द्रव्य लक्ष्मी पूजन धनतेरस पर राहुकाल में या सूर्यास्त के बाद ही करना चाहिए।

वैसे तो इस दिन किसी भी समय पूजन कर सकते हैं लेकिन प्रदोष काल से लेकर निशाकाल तक समय शुभ होता है। जो इस दिन बही बसना पूजन करने हैं उनको ही राहु काल का विचार करना चाहिए। जो लोग सिर्फ गणेश लक्ष्मी जी का पूजन करें उनको विचार नहीं करना चाहिए, क्योंकि अमावस्या तिथि पर राहु काल का दोष नहीं होता।

अमावस्या तिथि प्रारंभ- 6 नवम्बर 2018 रात 10:03 बजे, अमावस्या तिथि समाप्त- 7 नवम्बर 2018 रात 9:32 बजे,

मुहूर्त समय

प्रातः 8 बजे से 9:30 बजे तक प्रातः 10:30 बजे से दोपहर 1:00 बजे तक दोपहर 1:30 बजे से सायंकाल 6 बजे तक सायंकाल 7:30 बजे से रात्रि 12:15 बजे तक

स्थिर लग्न

वृष सायंकाल 6:15 से रात्रि 8:05 तक सिंह रात्रि 12:45 से 02:50 तक वृश्चिक प्रातः 8:10 से 9:45 तक कुम्भ दोपहर 01:30 से 03:05 तक

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BRIJESH SINGH
the authorBRIJESH SINGH