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बेजबरुआ असम समझौते की संवैधानिक गारंटी क्रियान्वयन समिति के प्रमुख

 नई दिल्ली, 6 जनवरी (आईएएनएस)| केंद्र सरकार द्वारा 1985 के असम समझौते के अनुच्छेद 6 के क्रियान्वयन के लिए गठित की गई 9 सदस्यीय उच्च स्तरीय समिति की अगुवाई पूर्व नौकरशाह एम.पी.बेजबरुआ करेंगे।

 यह अनुच्छेद 1985 के असम समझौते के तहत राज्य के स्थानीय समुदायों की सुरक्षा के लिए संवैधानिक गारंटी प्रदान करता है।

असम समझौते का अनुच्छेद 6 केंद्र को असम की स्थानीय सांस्कृतिक, सामाजिक, भाषाई पहचान और धरोहर के संरक्षण और उसे बढ़ावा देने के लिए उचित संवैधानिक, विधायी व प्रशासनिक उपाय करने को कहता है।

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 2 जनवरी को उच्च स्तरीय समिति के गठन को मंजूरी दी। समिति को छह महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट जमा करने को कहा गया है।

बेजबरुआ 1964 बैच के आईएएस अधिकारी हैं। वह उत्तर पूर्व परिषद के सदस्य रह चुके हैं। उन्होंने बेजबरुआ समिति की अध्यक्षता की, जिसका गठन 2014 में दिल्ली में अरुणाचल प्रदेश के युवक निडो तानिया की हत्या के मद्देनजर किया गया था। इस समिति को सुधारात्मक उपाय की सिफारिश के लिए गठित किया गया था।

गृह मंत्रालय की अधिसूचना के अनुसार, असम के विभिन्न क्षेत्रों की जानी-मानी शख्सियतों को समिति का सदस्य बनाया गया है।

इस समिति में सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी सुभाष दास, असम साहित्य सभा के पूर्व अध्यक्ष नगेन सैकिया व सभा रोंगबोंग तेरंग, द सेंटीनेल अखबार के संस्थापक- संपादक धीरेन बेजबरुआ, शिक्षाशास्त्री मुकुंदा राजबंगशी व असम के महाधिवक्ता रमेश बोरपात्रागोहेन शामिल हैं।

ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (आसू) का एक प्रतिनिधि व केंद्रीय गृह मंत्रालय का एक संयुक्त सचिव भी समिति का सदस्य होगा।

असम समझौते पर 15 अगस्त 1985 को समझौता हुआ था। इसके अनुच्छेद 6 में कहा गया, “असमिया लोगों की सांस्कृतिक, सामाजिक, भाषाई पहचान और धरोहर के संरक्षण और उसे बढ़ावा देने के लिए उचित संवैधानिक, विधायी व प्रशासनिक उपाय प्रदान किया जाएगा।”

यह समिति असम समझौते के अनुच्छेद 6 के अनुपालन के लिए 1985 से की गई कार्रवाई के असर की जांच करेगी।

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