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कुंभ के ऐसे साधू जो महिलाओं के शव से बनाते हैं शारीरिक संबंध, तब तक करते हैं जबतक इनकी…

अघोरी शब्द मतलब होता है ‘उजाले की ओर’। इस शब्द को पवित्रता और सभी बुराइयों से मुक्त भी समझा जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं अघोरियों का रहन-सहन इसके बिलकुल विरुद्ध ही दिखते हैं। अघोरी श्मशान घाट की अधजली लाशों को निकालकर उनका मांस खाते हैं, वे शरीर के द्रव्य भी प्रयोग करते हैं। इसके पीछे उनका मानना है कि इससे उनकी तंत्र करने की शक्ति प्रबल होती है।

आपको बता दें, शिव के पांच रूपों में से एक रूप ‘अघोर’ है। शिव की उपासना करने के लिए अघोरी शव पर बैठकर साधना करते हैं। अघोरी 3 तरह की साधनाएं करते हैं, शव साधना, जिसमें शव को मांस और मदिरा का भोग लगाया जाता है, शिव साधना, जिसमें शव पर एक पैर पर खड़े होकर शिव की साधना की जाती है और श्मशान साधना, जहां हवन किया जाता है।

अघोरियों के पास हमेशा एक इंसानी खोपड़ी जरूर रहती है जिसे वे भोजन के पात्र के रूप में इस्तेमाल करते हैं, जिस कारण इन्हें ‘कापालिक’ कहा जाता है। किवदंतियों के अनुसार एक बार शिव ने ब्रह्मा का सिर काट दिया था और उनका सिर लेकर उन्होंने पूरे ब्रह्मांड के चक्कर लगाए थे। शिव के इसी रूप के अनुयायी होने के कारण अघोरी भी अपने साथ नरमुंड रखते हैं।दीक्षा के पहले अघोरी खुद का श्राद्ध और पिंडदान करते हैं। इस प्रक्रिया में साधक खुद को अपने परिवार और समाज के लिए मृत मानकर अपने हाथों से अपना श्राद्ध कर्म करता है।

ऐसा माना जाता है कि अघोरी साधु शवों की साधना के साथ ही उनसे शारीरिक सम्बन्ध भी बनाते हैं, तो आपको बता दें ये बात बिलकुल सच है। अघोरी अन्य साधुओं की तरह ब्रह्मचर्य का पालन नहीं करते। बल्कि शव पर राख से लिपटे मंत्रों और ढोल नगाड़ों के बीच शारीरिक सम्बंध बनाते हैं। यह शारीरिक सम्बन्ध बनाने की क्रिया भी साधना का ही हिस्सा है खासकर उस वक्त जब महिला के मासिक चल रहे हों। कहा जाता है कि ऐसा करने से अघोरियों की शक्ति बढ़ती है।

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Prarthana Srivastava