नई दिल्ली। भारतीय वायुसेना ने सीमा पार छुपे बैठे जैश-ए-मोहम्मद के आतंकियों के खिलाफ बीती रात बड़ी कार्रवाई की है। भारतीय वायुसेना के विमानों ने नियंत्रण रेखा के पार आतंकी कैंप्स पर करीब 1000 किलोग्राम के बम बरसाए। भारतीय वायुसेना की इस कार्यवाई में करीब 200-300 आतंकी ढेर हो गए हैं जबकि पांच पाकिस्तानी सैनिकों के मारे जाने की भी खबर है। इस काम को अंजाम दिया है भारत के 12 मिराज-2000 लड़ाकू विमानों ने। आज हम आपको मिराज-2000 लड़ाकू विमानों की खासियतों के बारे में बताने जा रहे हैं।
मिराज-2000 भारतीय वायुसेना का महत्वपूर्ण अंग डसॉल्ट मिराज चौथी जनरेशन का सिंगल इंजन लड़ाकू विमान है। मिराज- 2000 विमान 1980 के दशक में फ्रांस से खरीदे गए थे। इसका निर्माण डसॉल्ट मीराज ने एविएशन ने किया, मिराज-2000 की पहली उड़ान 10 मार्च, 1978 को हुई थी। फ्रांसीसी एयरफोर्स और भारतीय वायुसेना के अलावा यूएई एयरफोर्स और चीनी रिपब्लिक वायुसेना के बेड़े में भी मिराज-2000 विमान शामिल हैं। मिराज 2000 में उन्नत एवियोनिक्स, आरडीवाई रडार और नए सेंसर और कंट्रोल सिस्टम का उपयोग करके नए कई निशानों को एक साथ साधना, हवा से जमीन और हवा से हवा में भी मार करने में माहिर है। यह पारंपरिक और लेजर गाइडेड बम को भी गिराने में सक्षम है। मिराज हवा से साथ पर हमले के साथ-साथ लेजर गाइडेड बम दागने में महारत रखते हैं।
मिराज 2000 में हथियारों को ले जाने के लिए नौ हार्डपॉइंट दिए गए हैं। जिसमें पांच प्लेन के नीचे और दो दोनों तरफ के पंखों पर दिया गया है। सिंगल-सीट संस्करण भी दो आंतरिक हैवी फायरिंग करने वाली 30 मिमी बंदूखों से लैस है। हवा से हवा में मार करने वाले हथियारों में MICA मल्टीगेट एयर-टू-एयर इंटरसेप्ट और कॉम्बैट मिसाइलें शामिल है। इसके अलावा भी यह कई प्रकार के हथियार ले जाने में सक्षम है। अपग्रेडेशन के बाद ये विमान और भी घातक हो चुके हैं। मिराज ने करगिल युद्ध में दुश्मनों के दांत खट्टे किए थे, मिराज के लेजर गाइडेड बम ने दुश्मन के अहम बंकरों को ध्वस्त किया था।