लखनऊ। अगर आप भी वंदे भारत एक्सप्रेस (ट्रेन-18) में सफर करने वाले हैं या सफर कर चुके हैं तो खबर आपके लिए है। दरअसल वंदे भारत एक्सप्रेस (ट्रेन-18) के दो यात्रियों को कानपुर सेंट्रल स्टेशन पर उतरना महंगा पड़ गया। उन्होंने जैसे ही दोबारा ट्रेन में चढ़ने की कोशिश की ट्रेन के दरवाज़े बंद हो गए। दोनों ट्रेन के साथ साथ कुछ दूर तक दौड़े भी लेकिन स्पीड तेज़ होने के कारण ट्रेन निकल गई। बाद में दोनों टिकट लेकर वापस अपने घर पहुंचे।
परिवार संग दिल्ली से इलाहाबाद जा रहे मेरठ निवासी पवन कुमार ट्रेन के रुकने पर पानी की बोतल खरीदने के लिए प्लेटफार्म नंबर पांच पर उतरे। पानी लेकर वो वापस लौटे तो ट्रेन का गेट बंद हो गया। वहीँ, बनारस के वेद दीक्षित भी प्लेटफार्म पर खड़े अपने रिश्तेदारों से मिलने उतरे थे। उनके साथ ही ऐसी ही घटना हुई। दरअसल, इस ट्रेन के छूटने के सिग्नल के साथ ही गेट आटोमेटिक लॉक हो जाते हैं। इंजन रहित ट्रेन (ट्रेन सेट) होने की वजह से अचानक से ट्रेन स्पीड पकड़ लेती है।
उत्तर मध्य रेलवे के जनसंपर्क अधिकारी अमित मालवीय ने बताया कि वंदे भारत, शताब्दी समेत सभी प्रीमियम ट्रेनों में टिकट के साथ मिलने वाला पानी और खाने के अलावा यदि यात्री कोई अतिरिक्त सामग्री लेता है तो वह भुगतान कर ले सकता है। यात्रियों को प्लेटफार्म पर उतरने की जरूरत नहीं है।