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जब शहीद की कहानी सुन रो पड़े पीएम मोदी और आर्मी चीफ

नई दिल्ली। कारगिल विजय दिवस के मौके पर इंदिरा गांधी स्टेडियम में भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में कैबिनेट के कई मंत्रियों समेत प्रधानमंत्री मोदी मौजूद रहे। कार्यक्रम में कुछ ऐसे भी पल आए जब सभागार में बैठे सभी भावुक हो उठे और आंखों से आंसू निकल पड़े। प्रधानमंत्री मोदी भी बेहद भावुक हो गए और उनकी आंखों से आंसू छलक पड़े। आर्मी चीफ भी अपने आंसुओं को रोक नहीं सके और सभागार में मौजूद हर शख्स की आंखें नम हो गईं। दरअसल युवाओं की एक टीम ने अपने शारीरिक भंगिमाओं के जरिए एक शहीद की कहानी बताई। यह कहानी करगिल युद्ध में शहीद हुए लांस नायक बच्चन सिंह की थी। लांस नायक बच्चन सिंह की पत्नी श्रीमती कमलेश बाला को स्टेज पर बुलाया गया और सम्मानित किया गया। साथ में उनके बेटे लेफ्टिनेट हितेश भी मौजूद थे। लेफ्टिनेंट हितेश अपने पिता की ही बटालियन में अफसर हैं।

कहानी कुछ इस प्रकार थी-

शहीद बेटे का शव जब द्वार पर आया तो मां ने कहा,आज मेरा बेटा पहली बार चैन से सोया। मां को देखकर पिता भी बाहर आएंगे देखकर अपने बेटे का शव। तब जाकर कहना उनसे कि मैंने ऐसा इसलिए किया ताकि देश मेरा जवान रहे। मेरे भाई से कहना कि एक मां यहां आंसू बहा रही है और दूसरी मां सरहद पर बुला रही है। उसे एक मां का कर्ज उतारना है और दूसरी मां का फर्ज भी निभाना है। मेरी बीवी सहमी सी बैठी होगी। बीवी से कहना की करवा चौथ हर साल रखे और तब तक रखे जब तक आसमान में चंदा है। क्या हुआ उसका पति जिंदा नहीं, उसका देश तो जिंदा है। हो सके तो मेरे पड़ोसियों को भी बुला लेना वो देख लें मुझे फिर जला देना। मेरे जलने के बाद कोई आंसू न बहाए क्योंकि मैं जलने के बाद इस देश की मिट्टी में मिल जाऊंगा और एक फूल बनकर फिर खिल जाऊंगा

शहीद की पत्नी की आवाज- लिपटे तिरंगे में जब उनको देखा बिखरने लगी मेरी दुनिया पूरी की पूरी हिल गई, मैंने अपना पति खोया और वतन ने अपना बेटा। तभी उनका लिखा एक खत मिला और आंसुओं ने नया मोड़ लिया। खत में लिखा था, अगर यह खत तुम पढ़ रही हो तो इसका मतलब अब मैं नहीं रहा। लेकिन तुम यह न समझना कि तुम अकेली हो। मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूं। मैं देश की ढाल बना और मेरे परिवार की ढाल तुम बनो। हमेशा तुमने मेरा साथ दिया। अब बस एक सपना और पूरा कर दो। वादा करो मुझसे, हमारे बेटे को तुम फौजी बनाओगी। जय हिंद!

हां करती हूं मैं आपसे वादा कितनी भी आएं मुश्किलें मैं बड़े फक्र से कहूंगी कि मेरा बेटा फौजी है। आया जब संदेश पिता के शहीद होने का हम पर टूट पड़ा दुख। मां ने ठान लिया कि अब इस दुख से बाहर निकलना है। उसके मन में जिद थी पिता का सपना पूरा करने की। वह धूप में काम करती थी। सारे दुख और दर्द सहती थी। खुद तकलीफ में रहकर मुझे सारी सुविधाएं देती रही। उस सपने को अपना मुकाम पा लिया। मैं फौजी बना और उसने मुझेफक्र से सीने से लगाया। तब पिता जी का सपना पूरा हुआ। न की थी परवाह उसने खुद की, न उसे चाह थी खुद के लिए कुछ करने की। बस उसने ठान ली थी उस अधूरे सपने को पूरा करने की।

पवन अवस्थी की फेसबुक वाल से…

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BRIJESH SINGH
the authorBRIJESH SINGH