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विपक्षी नेता और राहुल गाँधी पहुँचे श्रीनगर, प्रशासन ने कहा नो एंट्री

जम्मू-कश्मीर से धारा 370 और 35ए के हटाए जाने के बाद से जहां एक तरफ मोदी सरकार तारीफें बटोर रही है वही विपक्ष की नींदे उड़ी हुई है। पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान भी केंद्र सरकार के इस फैसले पर अपनी आपत्ती जता चुका है। धारा 370 हटाने से माहौल ना खराब हो किसी प्रकार का हंगामा ना खड़ा हो इसके लिए सरकार ने सुरक्षा के पुख्ता इंतज़ाम किए। सरकार ने कश्मीर में सैन्य बल बढ़ाने के साथ-साथ वहाँ के नेताओँ को नज़रबंद भी कर दिया।

जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारुख अब्दुल्ला उनके बेटे उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती जैसे नेता नज़रबंद होने के चलते आक्रोश जताते नज़र आते है। देश में बैठा विपक्ष कभी कश्मीर में हिंसा तो कभी खराब माहौल का हवाला देकर कश्मीर के मुद्दे को लेकर सरकार पर सवालिया निशाना लगाते नहीं थकता।

कश्मीर के माहोल से रुबरु होने के लिए कुछ दिन पहले कांग्रेस नेता गुलाम नबी आज़ाद कश्मीर पहुँचे थे। पर जैसी ही उन्होनें श्रीनगर एयरपोर्ट पर लैंड किया कश्मीर प्रशासन ने उल्टे पांव दिल्ली लौट जाने का फरमान सुना दिया। वह एयरपोर्ट से बाहर भी नहीं आने पाये और उन्हें वापस दिल्ली के लिए रवाना होना पड़ा। पर बात यही खत्म नहीं नहीं हुई इसके बाद राहुल गांधी और विपक्ष के कुल 11 नेताओं ने कश्मीर जाकर वहाँ के नेताओं से मिलने और वहाँ के हाल जानने का एलान किया।

हालांकि कश्मीर के प्रशासन ने उन्हें वहां आने के लिए मना किया पर वह लोग मानने को तैयार ही नहीं हुए। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और कई अन्य विपक्षी दलों के वरिष्ठ नेता शनिवार दोपहर अपने साथ कुछ मीडिया कर्मी लेकर श्रीनगर पहुँचे लेकिन प्रशासन ने उन्हें नो एंट्री का बोर्ड दिखा दिया। दरअसल, कश्मीर प्रशासन का मानना है कि नेताओं के आने से कानून व्यवस्था भंग हो सकती है क्योंकि कई बार नेता उन नियमों का पालन भी नहीं करते जिनका पालन करना अनिवार्य है।

इसी के चलते सभी को श्रीनगर हवाई अड्डे पर ही रोक लिया और काफी लंबे चले तमाशे के बाद सभी को वापस दिल्ली लौटा दिया गया। यही नहीं दिल्ली से गई मीडिया और श्रीनगर एयरपोर्ट पर मौजूद सुरक्षाबलों के बीच संघर्ष भी हुआ।

दिल्ली एयरपोर्ट पर पहुँचने के बाद राहुल गांधी ने मीडिया से बात की और कहा कि कुछ दिन पहले मुझे राज्यपाल ने जम्मू-कश्मीर की यात्रा के लिए आमंत्रित किया था। मैंने निमंत्रण स्वीकार कर लिया। हम यह जानना चाहते थे कि वहां मौजूद लोग किस स्थिति से गुजर रहे हैं, लेकिन हमें हवाई अड्डे से बाहर जाने की अनुमति नहीं दी गई। हमारे साथ प्रेस के लोगों को गुमराह किया गया, पीटा गया। यह स्पष्ट है कि जम्मू-कश्मीर में स्थिति सामान्य नहीं है।

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BRIJESH SINGH
the authorBRIJESH SINGH