कश्मीर- भारत सरकार ने 5 अगस्त को एक एतिहासिक फैसला लेते हुए जम्मू-कश्मीर से धारा 370 और 35 ए हटा दिया था। इस फैसले के बाद से कश्मीर के नेताओं और पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान में हड़कंप मच गया क्योंकि कश्मीर के भारत में शामिल होने से सबसे ज़्यादा नुकसान कश्मीर में बैठे अलगाववादी नेताओं और आतंकी संगठनों को होना है क्योंकि अब भारत सरकार इन दोनों की सीधे तौर पर नकेल कस सकती है।
भारत सरकार का दखल इन लोगों की दुकाने चलने नहीं देगा यह बात वह सभी अच्छी तरह से जानते हैं। लेकिन भारत सरकार भी इस बात को कही बेहतर जानती थी कि इस फैसले के बाद कश्मीर का माहौल बदल सकता है, वहाँ मौजूद नेता और आतंकी संगठन वहाँ के युवाओं को हथियार के तौर पर इस्तेमाल करके घाटी में हिंसा को बढ़ावा दे सकते है।
इसको मद्देनज़र रखते हुए सरकार ने अपनी तरफ से पाबंदियां लगाने और सुरक्षा बल बढ़ाने में कोई कसर बाकी नहीं लगाई। इंटरनेट, टेलीफोन जैसी तमाम सेवाएं बंद कर दी गई, इस फैसले को एक महीना हो चुका है और अब जम्मू-कश्मीर में हालात वापस पटरी पर आते हुए दिखने लगे है।
बुधवार की रात से घाटी के अधिकतर इलाकों में टेलीफोन सुविधा वापस से शुरु कर दी जाएगी, इस बात की पुष्टी खुद श्रीनगर के जिला मजिस्ट्रेट शाहिद चौधरी ने की है।
आगे उन्होनें बताया कि मोबाइल सेवाएं भी धीरे-धीरे बहाल की जाएंगी, और कुपवाड़ा के कुछ इलाकों में टेलीफोन सुविधाएं चालु है। जम्मू-कश्मीर के प्रिंसिपल सेक्रेटरी रोहित कंसल ने सोमवार को बताया था कि जम्मू और लद्दाख में दिन के समय में कोई प्रतिबंध नहीं है और टेलीफोन सेवा भी बहाल कर दी गई है जब्कि मोबाइल फोन पूरी तरह चालु है। प्रशासन के मुताबिक सरकारी दफ्तरों में कामकाज जारी है और स्टाफ भी मौजूद है।