NationalTop News

भारत में सुबह-सुबह ही क्यों दी जाती है फांसी, ये हैं वजहें

नई दिल्ली। दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने निर्भया के दोषियों का डेथ वारंट जारी कर दिया है। निर्भया के चारों गुनहगारों मुकेश, पवन, विनय और अक्षय को 22 जनवरी को सुबह सात बजे फांसी दी जाएगी। ये सवाल अक्सर पूछा जाता है भारत में लंबे समय से फांसी सुबह के वक्त ही क्यों दी जाती है। अंग्रेजों के समय में भी फांसी भोर में ही दी जाती थी। आइए आज हम आपको बताते हैं कि भारत में सुबह ही फांसी क्यों दी जाती है।

नैतिक वजहें

हमारे समाज में ऐसा माना जाता है कि फांसी की सज़ा जिसको सुनाई गयी हो, उसको पूरा दिन इंतज़ार नहीं कराना चाहिए, इससे उसके दिमाग पर गहरा असर पड़ता है इसलिए उसे सुबह उठाया जाता है, फिर उसे नित्यकर्म से निवृत्त होकर फांसी के लिए ले जाया जाता है।

सामाजिक वजहें

अपराधी को फांसी देना समाज के लिए एक बड़ा समाचार होता है। इसका समाज में गलत प्रभाव न हो इसको ध्यान में रखकर सूर्योदय से पहले फांसी दे दी जाती है। सुबह के वक्त कैदी भी मानसिक तौर पर भी कुछ हद तक तनावमुक्त रहता है।

प्रशासनिक वजहें

फांसी के पहले और बाद में कई तरह की प्रक्रियाएं पूरी करनी पड़ती हैं, जैसे मेडिकल टेस्ट, कई रजिस्टरों में एंट्री और कई जगह नोट्स देने होते हैं। इसके बाद लाश को उसके परिवार वालों को भी सुपुर्द करना होता है। शायद ये भी एक बड़ा कारण है सूर्योदय से पहले फांसी दिए जाने का।

=>
=>
loading...
BRIJESH SINGH
the authorBRIJESH SINGH