अमरावती | आंध्र प्रदेश ने बुधवार को राज्य की राजधानी हैदराबाद से अमरावती किए जाने के बाद पहली बार वित्त वर्ष 2017-18 के लिए लगभग 1.57 लाख करोड़ रुपये का बजट पेश किया। वित्तमंत्री वाई. रामकृष्णुडु ने कुल 1.57 लाख करोड़ रुपये का बजट पेश किया, जो पिछले वर्ष की तुलना में 15.71 प्रतिशत अधिक है।
इसमें 1.26 लाख करोड़ रुपये का राजस्व व्यय और 31,087 करोड़ रुपये का पूंजीगत व्यय शामिल है। अनुमानित राजस्व घाटा करीब 416 करोड़ रुपये का है और वित्तीय घाटा लगभग 23,054 करोड़ रुपये है। दोनों सकल राज्य घरेलू उत्पाद के क्रमश: 0.05 फीसदी और तीन फीसदी हैं। उन्होंने कहा कि लगभग 2000 वर्षो बाद ऐतिहासिक शहर अमरावती में विधायी शक्ति वापस ला कर वह खुशी महसूस कर रहे हैं।
बजट में नए राज्य की राजधानी के विकास के लिए 1,061 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। मंत्री ने आश्वस्त किया कि नई राजधानी को बनाने के लिए उन्होंने जो सपना देखा है, उसके लिए धन की कमी नहीं पड़ने दी जाएगी। यह राजधानी देश के लिए एक मॉडल होगी।
रामकृष्णुडु ने कहा कि अग्रिम अनुमानों के अनुसार, राज्य सफलतापूर्वक 11.61 फीसदी स्वास्थ्य वृद्धि दर का लक्ष्य प्राप्त कर सकता है। विजन 2029 के तहत हर साल 12 प्रतिशत विकास दर हासिल करने का लक्ष्य है। उन्होंने स्वीकार किया कि 2016-17 के दौरान राज्य की राजधानी के स्थानांतरण और नोटबंदी ने वित्तीय संसाधनों पर भारी दबाव डाला।
उन्होंने कहा कि लोगों ने नोटबंदी की वजह से बहुत सी कठिनाइयों का सामना किया है। उन्होंने कहा कि आंध्र प्रदेश डिजिटल भुगतान अपनाने में देश का प्रतिनिधित्व कर रहा है। राज्य ने कृषि के लिए कुल 9,091 करोड़ रुपये आवंटित किया है, जो कुल बजटीय आवंटन का 5.79 प्रतिशत है। ग्रामीण विकास के लिए कुल 19,565 करोड़ रुपये आवंटित किया गया है, जो कुल बजटीय आवंटन का 12.46 फीसदी है। सिंचाई के क्षेत्र में 12,770 करोड़ रुपये आवंटित किया गया है, जो कुल बजटीय आवंटन का 8.13 प्रतिशत है।
उन्होंने भरोसा जताया कि ये आवंटन ग्रामीण अर्थव्यवस्था को फिर से जीवित करेंगे। बजट में कृषि ऋण माफी के लिए 3,600 करोड़ रुपये दिए गए हैं। राज्य ने अभी तक इस योजना के लिए 11,000 करोड़ रुपये दिए हैं। कृषि मंत्री पी. पुल्ला राव ने बाद में कृषि के लिए एक अलग बजट पेश किया।
वित्त मंत्री ने स्वास्थ्य और परिवार कल्याण के लिए 7,021 करोड़ रुपये का प्रस्ताव रखा, जो कि पिछले वर्ष की तुलना में 15 प्रतिशत अधिक है। बजट में उद्योग विभाग के लिए आवंटन 113 फीसदी बढ़ाकर 2,086 करोड़ रुपये कर दिया गया है। उन्होंने सामान्य शिक्षा के लिए 20,384 करोड़ रुपये और तकनीकी शिक्षा के लिए 765 करोड़ रुपये का प्रस्ताव पारित किया। उन्होंने कल्याण योजनाओं के लिए 11,361 करोड़ रुपये आवंटित किए।