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नैशनल हेरल्ड केस में सोनिया-राहुल को झटका, IT जांच को मंजूरी

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नई दिल्ली। नैशनल हेरल्ड मामले में आरोपी कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल गांधी को दिल्‍ली हाई कोर्ट ने बड़ा झटका दिया है। कोर्ट ने इस मामले में इनकम टैक्स जांच का रास्ता साफ कर दिया है। खबर है कि गांधी परिवार इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख कर सकता है।

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नैशनल हेरल्ड मामले में गांधी परिवार की तरफ से केस की पैरवी कर रहे वरिष्ठ वकील और कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि कोर्ट के इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की जाएगी।

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बता दें कि यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड कंपनी में सोनिया और राहुल गांधी की हिस्सेदारी है। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट अब यंग इंडियन के खातों में कथित हेराफेरी की जांच करेगा। विभाग सोनिया और राहुल से पूछताछ भी कर सकता है।

आरोप है कि यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड नाम से एक कंपनी बनाई गई थी, जिसने नैशनल हेरल्ड की पब्लिशर एसोसिएटिड जनरल लिमिटेड को टेकओवर किया। बीजेपी नेता सुब्रमण्यन स्वामी ने इस मामले में कोर्ट का रुख किया था।

उन्होंने अपनी अर्जी में आरोप लगाया था कि सोनिया गांधी और अन्य ने मिलकर षड्यंत्र रचा। जिसके बाद एसोसिएटिड जनरल लिमिटेड को 50 लाख रुपये देकर यंग इंडियन प्राइवेट लिमटेड ने 90.25 करोड़ रुपये वसूलने का अधिकार ले लिया।

स्वामी ने कहा था कि सोनिया और राहुल गांधी ने नैशनल हेरल्ड की पांच हजार करोड़ की संपत्ति पर कब्जा कर लिया है। पटियाला हाउस कोर्ट ने इस मामले में सोनिया और राहुल के खिलाफ जांच का आदेश दिया था जिसे दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती दी गई थी।

क्या है नैशनल हेरल्ड केस

इस मामले की शुरुआत हुई थी 1938 में, जब जवाहरलाल नेहरू ने कांग्रेस के एक मुखपत्र की जरूरत महसूस की और उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से नैशनल हेरल्ड नाम के अखबार की शुरुआत की।

नैशनल हेरल्ड का मालिकाना हक असोसिएटेड जर्नल लिमिटेड (एजेएल) के पास था। एजेएल उस वक्त दो और अखबार भी छापा करती थी, हिंदी में ‘नवजीवन’ और उर्दू में ‘क़ौमी आवाज’।

साल 2008 तक एजेएल इन तीनों अखबारों को चलाती रही, लेकिन साल 2008 में ही ‘एजेएल’ ने सभी प्रकाशनों को निलंबित कर दिया और इसी के साथ कंपनी पर 90 करोड़ रुपए का कर्ज भी चढ़ गया।

इसके बाद कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने 23 नवंबर 2010 को ‘यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड’ नाम से एक नई ‘नॉट-फॉर प्रॉफिट कंपनी’ बनाई जिसमें सोनिया गांधी और राहुल गांधी समेत मोतीलाल वोरा, सुमन दुबे, ऑस्कर फर्नांडिस और सैम पित्रोदा को निदेशक बनाया गया।

यंग इंडियन कंपनी में सोनिया और राहुल के पास 38-38 फीसदी शेयर थे, जबकि बाकी के 24 फीसदी शेयर अन्य मेंबर्स के पास थे। कांग्रेस ने यंग इंडियन को 90 करोड़ रुपए बतौर लोन दिया, जिसके बाद इस कंपनी ने ‘असोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड’ का अधिग्रहण कर लिया।

बीजेपी नेता सुब्रमण्यन स्वामी ने एक नवंबर 2012 को एक याचिका दायर कर सोनिया, राहुल समेत कांग्रेस पार्टी के नेताओं पर धोखाधड़ी का आरोप लगाया।

याचिका में उन्होंने कहा कि ‘यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड’ ने सिर्फ 50 लाख रुपए में 90.25 करोड़ रुपए वसूलने का तरीका निकाला, जो नियमों के खिलाफ है।

स्वामी ने यह भी आरोप लगाया कि इस धोखाधड़ी के जरिए इन लोगों को नैशनल हेरल्ड और कौमी आवाज अखबारों के प्रकाशन अधिकार भी दिल्ली और यूपी में स्थित प्रॉपर्टी समेत मिल गए।

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