कोलकाता | हैदराबाद विश्वविद्यालय का दलित शोधछात्र रोहित वेमुला की आत्महत्या से इन दिनों हर जगह बवाल चल रहा है। सरकारों ने भी इस मामले के चलते काफी सियासत करी। आत्महत्या मामले की गर्मी अभी टली नहीं थी की आक्रोशित पश्चिम बंगाल के छात्रों ने गणतंत्र दिवस के दिन युनाइटेड स्टूडेंट्स डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूएसडीएफ) के बैनर तले दलित शोधछात्र रोहित वेमुला के लिए प्रदर्शन किया। इस दौरान हिंसा तक हो गई।
प्रदर्शनकारियों का कहना है कि उन्हें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के कार्यकर्ताओं ने पीटा। यूएसडीएफ के कार्यकर्ता आरएसएस के कोलकाता कार्यालय के बाहर प्रदर्शन कर रहे थे। वे नारों में 17 जनवरी को रोहित वेमुला की आत्महत्या की घटना को ‘हत्या’ करार देते हुए इसके लिए आरएसएस को जिम्मेदार ठहरा रहे थे।
यूएसडीएफ का कहना है कि हैदराबाद विश्वविद्यालय में आरएसएस की छात्र शाखा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के एक नेता के साथ झड़प के बाद केंद्रीय श्रममंत्री बंडारू दत्तात्रेय की सिफारिश पर केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी के निर्देश पर विश्वविद्यालय प्रशासन ने रोहित व अन्य चार दलित छात्रों को निलंबित कर दिया गया। इससे व्यथित होकर रोहित ने आत्महत्या कर ली।
टीवी के समाचार चैनलों पर दिखाए गए वीडियो में आरएसएस और यूएसडीएफ के कार्यकर्ता हाथपाई करते दिख रहे थे और पुलिस बीच-बचाव करने में लगी थी। पुलिस ने कुछ प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया है।
यूएसडीएफ के एक कार्यकर्ता ने कहा, “हम शांतिपूर्वक प्रदर्शन कर रहे थे, तभी अचानक आरएसएस के कुछ कार्यकर्ता आकर हमें पीटने लगे।”आरएसएस के राज्य सचिव जीष्णु बसु ने हालांकि प्रदर्शनकारियों को पीटे जाने के आरोप का खंडन किया और हिंसा के लिए पुलिस को जिम्मेदार ठहराया।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की राज्य इकाई के अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा कि रोहित की आत्महत्या को लोग बेवजह राजनीतिक रंग दे रहे हैं। उस छात्र ने अवसाद में आकर खुदकुशी कर ली। उन्होंने असहिष्णुता दिखाते हुए कहा कि किसी को यह अधिकार नहीं है कि दूसरे के घर पर जाकर हंगामा करे, जो हंगामा करेगा उसे जवाब दिया ही जाएगा। आरएसएस के कार्यकर्ता यह अच्छी तरह जानते हैं कि किसका क्या इलाज किया जाए।