लखनऊ। सभी पैरेंट्स चाहते हैं कि उनका बच्चा पढ़ने लिखने में अच्छा हो, यूब मन लगा कर पढ़ाई करे। हर अभिवावक की आकांक्षा होती है कि वह अपनी सन्तान को हर सम्भव साधन जुटाकर बेहतर से बेहतर शिक्षा उपलब्ध करा सके जिससे उसके व्यकितत्व में व्यापकता आये और वह खुद स्वावलंबी बनें। सारी सुविधायें होने के बावजूद भी जब बच्चों का पढ़ाई में मन नहीं लगता है और जो कुछ भी पढ़ते हैं, वह बहुत ही जल्दी भूल जाते हैं या फिर अधिक परिश्रम करने के बावजूद भी परीक्षाफल सामान्य ही रहता है। बता दें कि ऐसी स्थिति में अगर आप वास्तु का सहयोग लेंगे तो निश्चय ही से आश्चर्यचकित कर देने वाले परिणाम सामने आते हैं। तो आइये जानते हैं वास्तु टिप्स—
ज्योतिषाचार्यों का मानना है कि बच्चों के अध्ययन कक्ष में इस प्रकार की व्यवस्था होनी चाहिए जिससे कि बच्चों का पढ़ाई के प्रति रूझान बढ़े और मन एकाग्र होकर और वह अपने लक्ष्य के प्रति कर हो सकें।
1: घर में अध्ययन कक्ष ईशान कोण अथवा पूर्व या उत्तर दिशा में बनवाना चाहिए। अध्ययन कक्ष शौचालय के निकट किसी भी रूप में नहीं होना चाहिए।
2: ज्ञात हो कि पढ़ने की टेबल को पूर्व या उत्तर दिशा में रखें तथा पढ़ते समय मुख उत्तर या पूर्व की दिशा में ही होना चाहिए। इन दिशाओं की ओर मुख करने से सकारात्मक ऊर्जा मिलती है जिससे स्मरण शकित बढ़ती है और बुद्धि का विकास होता है।
3: ध्यान रहे कि पढ़ने वाली टेबल को दीवार से सटा कर न रखें। पढ़ते समय रीढ़ को हमेशा सीधा रखें। लेटकर या झुककर नहीं पढ़ना चाहिए। पढ़ने की सामग्री आंखों से करीब एक फिट की दूरी पर रखनी चाहिए।
4: अध्ययन कक्ष में हल्के रंगों का प्रयोग करें। जैसे- हल्का पीला, गुलाबी, आसमानी, हल्का हरा इत्यादि।
5: ब्रहममुहूर्त या प्रात:काल में 4 घन्टे अध्ययन करना रात्रि के 10 घन्टे के बराबर होता है। क्योंकि प्रात:काल में स्वच्छ एवं सकारात्मक ऊर्जा संचरण होती है जिससे मन व तन दोनों स्वस्थ्य रहते हैं।
6: अध्ययन कक्ष में किताबों की अलमारी को पूर्व या उत्तर दिशा में बनायें तथा उसकी हफ्ते में एक बार साफ-सफार्इ अवश्य करें। अलमारी में गणेश जी की फोटो लगाकर रोज पूजा करनी चाहिए।
7: नौकरियों जैसे बीएड, प्रशासनिक सेवा, रेलवे, आदि की तैयारी करने वाले छात्रों का अध्ययन कक्ष पूर्व दिशा में होना चाहिए। क्योंकि सूर्य सरकार एवं उच्च पद का कारक तथा पूर्व दिशा का स्वामी है।
8: बीटेक, डाक्टरी, पत्रकारिता, ला, एमसीए, बीसीए आदि की शिक्षा ग्रहण करने वाले छात्रों का अध्ययन कक्ष दक्षिण दिशा में होना चाहिए तथा पढ़ने वाली मेज आग्नेय कोण में रखनी चाहिए। क्योंकि मंगल अगिन कारक ग्रह है एवं दक्षिण दिशा का स्वामी है।
9: एमबीए, एकाउन्ट, संगीत, गायन, और बैंक की आदि की तैयारी करने वाले छात्रों का अध्ययन कक्ष उत्तर दिशा में होना चाहिए क्योंकि बुध वाणी एंव गणित का संकेतक है एवं उत्तर दिशा का प्रतिनिधित्व करता है।
10: सर्वे और अत्यंत गंभीर विषयों का अध्ययन करने वाले छात्रों का अध्ययन कक्ष पश्चिम दिशा में होना चाहिए क्योंकि शनि एक खोजी एवं गंभीर ग्रह है तथा पश्चिम दिशा का स्वामी है। अगर ऐसी छोटी—छोटी सावधानियां रखी जायें तो निश्चित तौर पर आप कॅरियर में सफलता के शीर्ष पर पहुंच सकते हैं।