नई दिल्ली। एम.एस.धोनी, नाम शबाना, स्पेशल 26, अ वेडनेसडे ऐसी तमाम चुनिंदा फिल्मों का निर्देशन करने वाले ‘नीरज पांडे’ ने दर्शकों को ‘अय्यारी’ जैसी एक और बेहतरीन फिल्म का तोहफा देकर ये साबित कर दिया कि ‘एक अलग सोच इंसान को भीड़ से अलग कर देती है’
जी हां। अय्यारी फिल्म सिनमाघरों में दस्तक दे चुकी है और ऐसे में ‘पैडमैन’ अय्यारी के सामने एक चुनौती बनी हुई है लेकिन वहीँ अगर दोनों फिल्मों का आंकलन करें तो बेशक ही दोनों ही फिल्में एक बढ़िया कांसेप्ट पर आधारित है।
स्टार कास्ट | मनोज बाजपेयी, सिद्धार्थ मल्होत्रा, रकुलप्रीत , नसीरुद्दीन शाह, अनुपम खेर आदिल हुसैन, कुमुद मिश्रा, पूजा चोपड़ा |
डायरेक्टर | नीरज पांडे |
प्रोड्यूसर | शीतल भाटिया, पैन इंडिया, मोशन पिक्चर कैपिटल |
संगीत | रोचक कोहली , अंकित तिवारी |
जॉनर | पॉलिटिकल थ्रिलर |
फिल्म अय्यारी यानी रूप बदलने की कला की बात करती है। लेकिन जिन कलाकारों की जिंदगी पर यह आधारित है, वे डरे हुए अय्यार लगते हैं। इस फ़िल्म को रिलीज करने से पहले आर्मी अधिकारियों को दिखाया गया था क्योंकि इसमें आर्मी में मौजूद भ्रष्टाचार की बात की गई थी। इसमें मोनज बाजपेयी और सिद्धार्थ मल्होत्रा दोनों इंडियन आर्मी के लिए काम करते नजर आएंगे। फिल्म में उनका साथ निभा रही हैं रकुल प्रीत। अय्यारी की कहानी दूसरी फिल्मों से काफी अलग है।
कहानी-
सेना की पृष्ठभूमि पर बनी इस फिल्म में सिद्धार्थ मल्होत्रा को सेना और देश के साथ गद्दारी करते हुए दिखाया गया है। सेना में एक आदमी की गद्दारी के कारण पूरी टीम को ही गद्दार घोषित कर दिया जाता है। इस घटना के बाद सिद्धार्थ देश छोड़कर भागने की फिराक में होते हैं और मनोज उनका पीछा करते हैं। कहानी की शुरुआत आर्मी के हेड क्वार्टर से होती है जहां पर ब्रिगेडियर के श्रीनिवास (राजेश तैलंग), माया (पूजा चोपड़ा) से शिनाख्त करते हुए पाए जाते हैं। श्रीनिवास जानना चाहते हैं कि आखिरकार एक ही टीम के कर्नल अभय सिंह (मनोज बाजपेई) और मेजर जय बख्शी (सिद्धार्थ मल्होत्रा) के बीच में अलगाव कैसे हुआ और दोनों एक दूसरे से बेइंतेहा नफरत क्यों करते हैं।
एक्टिंग-
फिल्म में सिद्दार्थ मल्होत्रा की एक्टिंग इस बात का पर्याय सुबूत है कि निर्देशक नीरज पांडे ने उनसे जमकर काम लिया है। वहीँ मनोज वाजपयी और नसरुद्दीन शाह की बात करें तो दोनों ही हमेशा की तरह अपने काम में बेस्ट रहे उधर, आदिल हुसैन, कुमुद मिश्रा, राजेश तैलंग और बाकी एक्टर्स ने भी अच्छा काम किया है।
डायरेक्शन-
फिल्म का डायरेक्शन, रियल लोकेशन के साथ बहुत ही बढ़िया है, एक्शन सीक्वेंस के साथ आने वाले ट्विस्ट और टर्न्स भी सरप्राईज करते हैं। फिल्म के माध्यम से शहीदों की विधवा पत्नियों के लिए बनाए जाने वाले घर, कश्मीर में अशांति, इनकम टैक्स, पॉलिटिकल हस्तक्षेप, आर्मी के लिए खरीदे जाने वाले हथियारों के मुद्दों पर भी प्रकाश डालने की कोशिश की गई है। फिल्म की कहानी बढ़िया है लेकिन स्क्रीनप्ले और बेहतर हो सकता था, ख़ास तौर पर फिल्म की एडिटिंग में और ज्यादा काम किया जाता तो यह और भी क्रिस्प देखने को मिलती।
म्यूजिक-
किसी भी मूवी की सोल यानी की ‘म्यूजिक’ इसकी फिल्म में ख़ासा कमी रही। अगर सुनिधि द्वारा गाया गया सिर्फ एक गाना ‘ले डूबा’ छोड़ दें तो बाकी म्यूजिक दर्शकों को इतना प्रभावित नहीं करता।